नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज की बेहद ज्ञान से भारी Best shikshaprad kahani मे. इस शिक्षाप्रद नैतिक कहानी को पढ़ने के बाद आज आप ईमानदारी का जीवन जीना शुरू कर देंगे. शिक्षाप्रद नैतिक कहानियों का जीवन मे बहुत अधिक महत्त्व होता है.
आज की कहानी: ??
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Best shikshaprad kahani moral story ईमानदारी की परीक्षा
एक युवक मंदिर मे भगवान के सामने प्रार्थना कर रहा था की उसे अच्छा सा कोई काम मिल जाए ताकी घर का खर्चा चला सके.
एक धनी व्यक्ति का बटुआ बाजार में गिर गया।उसे घर पहुंच कर इस बात का पता चला।बटुए में जरूरी कागजों के अलावा कई हजार रुपये भी थे।
फौरन ही वो मंदिर गया और प्रार्थना करने लगा कि बटुआ मिलने पर प्रसाद चढ़ाउंगा,गरीबों को भोजन कराउंगा आदि।*
संयोग से वो बटुआ एक बेरोजगार युवक को मिला।बटुए पर उसके मालिक का नाम लिखा था।इसलिए उस युवक ने सेठ के घर पहुंच कर बटुआ उन्हें दे दिया। सेठ ने तुरंत बटुआ खोलकर देखा। उसमें सभी कागजात और रुपये यथावत थे।
सेठ ने प्रसन्न हो कर युवक की ईमानदारी की प्रशंसा की और उसे बतौर इनाम कुछ रुपये देने चाहे, जिन्हें लेने से युवक ने मना कर दिया।इस पर सेठ ने कहा, अच्छा कल फिर आना।
*युवक दूसरे दिन आया तो सेठ ने उसकी खूब खातिरदारी की। युवक चला गया। युवक के जाने के बाद सेठ अपनी इस चतुराई पर बहुत प्रसन्न था कि वह तो उस युवक को सौ रुपये देना चाहता था। पर युवक बिना कुछ लिए सिर्फ खा -पी कर ही चला गया।*
उधर युवक के मन में इन सब का कोई प्रभाव नहीं था, क्योंकि उसके मन में न तो कोई लालसा थी और न ही बटुआ लौटाने के अलावा और कोई विकल्प ही था।
उधर सेठ बटुआ पाकर यह भूल गया कि उसने मंदिर में कुछ वचन भी दिए थे। सेठ तो बस बटुआ पाने की ख़ुशी और अपनी चतुराई भरे काम के बारे सोचता रहा और विकल्प के रूप मे अपना स्वार्थ खोजता रहा.
कुछ दिन बाद सेठ ने अपनी इस चतुराई का अपने मुनीम और सेठानी से सभी घटनाओ का जिक्र करते हुए कहा कि देखो वह युवक कितना मूर्ख निकला।हजारों का माल बिना कुछ लिए ही दे गया।
तब सेठानी ने कुछ देर मौन रहने पर कहा तुम उल्टा सोच रहे हो। जैसे ही आपने ईश्वर से प्रार्थना की तभी आपका बटुआ उस युवक को मिला ताकी आप अपने वचन का निभा सको. यानी ईश्वर ने दोनों की ईमानदारी को परखा जिसमे वो युवक तो खरा उतरा. पर आपने अभी तक अपना वचन नही निभाया.
वह युवक ईमानदार था। उसके पास तुम्हारा बटुआ लौटा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
उसने बिना खोले ही बटुआ लौटा दिया। वह चाहता तो सब कुछ अपने पास ही रख लेता। तुम क्या करते?*
ईश्वर ने दोनों की परीक्षा ली। वो पास हो गया, तुम फेल। अवसर स्वयं तुम्हारे पास चल कर आया था, तुमने लालच के वश उसे लौटा दिया। अब अपनी गलती को सुधारो और जाओ उसे खोजो।
उसके पास ईमानदारी की पूंजी है, जो तुम्हारे पास नहीं है। उसे काम पर रख लो।
सेठ तुरंत ही अपने कर्मचारियों के साथ उस युवक की तलाश में निकल पड़ा। कुछ दिनों बाद वह युवक किसी और सेठ के यहां काम करता मिला।
सेठ ने युवक की बहुत प्रशंसा की और बटुए वाली घटना सुनाई, तो उस सेठ ने बताया, उस दिन इसने मेरे सामने ही बटुआ उठाया था।
मैं तभी अपने गार्ड को लेकर इसके पीछे गया। देखा कि यह तुम्हारे घर जा रहा है। तुम्हारे दरवाजे पर खड़े हो कर मैंने सब कुछ देखा व सुना। और फिर इसकी ईमानदारी से प्रभावित होकर इसे अपने यहां मुनीम रख लिया।
इसकी ईमानदारी से मैं पूरी तरह निश्चिंत हूं।बटुए वाला सेठ खाली हाथ लौट आया। पहले उसके पास कई विकल्प थे , उसने निर्णय लेने में देरी की उस ने एक विश्वासी पात्र खो दिया।
युवक के पास अपने सिद्धांत पर अटल रहने का नैतिक बल था।उसने बटुआ खोलने के विकल्प का प्रयोग ही नहीं किया। युवक को ईमानदारी का पुरस्कार मिल गया दूसरे सेठ के पास निर्णय लेने की क्षमता थी। उसे एक उत्साही , सुयोग्य और ईमानदार मुनीम मिल गया।
best shikshaprad kahani की शिक्षा – सीख – moral
दोस्तों, ईश्वर हर किसी को अपनी ईमानदारी और इंसानियत को साबित करने के मौक़े देता रहता है. जिंदगी हर किसी को सही मार्ग पर चलने और अपनी गलती को सुधारने का एक मौका जरूर देती है.
ईश्वर हर किसी को अच्छे और पुण्य कर्म करने के मौक़े प्रदान करती है.
स्वार्थी बन कर स्वयं के लाभ के लिए विकल्प के चक्करो मे मत पड़े,आप जीवन मे ईमानदारी की राह पर चलते रहे ईश्वर आपकी जिंदगी मे खुद कई विकल्प दे देंगे प्रगति के.
जिन वस्तुओं के विकल्प होते हैं , उन्हीं में देरी होती है। विकल्पों पर विचार करना गलत नहीं है।लेकिन विकल्पों पर ही विचार करते रहना गलत है।हम ‘ यह या वह ‘ के चक्कर में फंसे रह जाते हैं।
किसी संत ने कहा है- विकल्पों में उलझकर निर्णय पर पहुंचने में बहुत देर लगाने से लक्ष्य की प्राप्ति कठिन हो जाती है।
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