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Short motivational story in hindi

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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका  दुनियां की सबसे प्रेरणादायक short motivational story in hindi मे. आज हम आपके लिए सबसे बेहतरीन motivational stories – inspirational stories – success stories ले कर आए है.

इन सभी प्रेरणादायक कहानियों को पढ़ने के बाद मै विश्वास से कहता हूं की आपके मन मे सफलता एवं लक्ष्य पाने की खोई हुई उम्मीद फिर से जाग उठेगी, आपका मन सकारात्मक और प्रेरणादायक विचारों से भर उठेगा.

आपके अंदर जीवन मे बड़ा मुकाम हासिल करने का जूनून सवार हो जाएगा आपका हौसला और आत्मविश्वास बढ़ेगा  अतः आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा इन सभी short motivational story in hindi से.

 

 

तीव्र इच्छा शक्ति – Short motivational story in hindi 

 

एक बार दीवाली के त्यौहार मे गरीब परिवार का एक छोटा मुस्लिम बच्चा अपने घर के बाहर खड़ा तमाम हिन्दू बच्चो और लोगों को दीपावली का महापर्व मनाते हुए देख रहा था.

 

बच्चे तरह तरह के पटाखे दग़ा रहे थे और उल्लास भरे स्वर मे खूब शोर गुल कर रहे थे मज़े कर रहे थे. उस मुस्लिम बच्चे के मन मे बहुत तीव्र इच्छा जाग रही थी इस महापर्व को मनाने की पटाखे दगाने की.

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लेकिन उसकी ग़रीबी भरी मजबूरी ने उसे रोक रखा था  यानी वो बेचारा तो किसी तरह मेहनत करके अखबार बेचकर अपनी पढ़ाई का खर्च जुटाता था और दो पैसे की मदद अपने गरीब बाप की भी किया करता था,

 

अतः उसके पास पर्याप्त पैसों की कमी थी।

 

 संयोगवश उस दिन उसने अखबार बेचकर अन्य दिनों की अपेक्षा पाँच पैसे ज्यादा कमाये।

 

तब वह पटाखे वाले के पास जाता है और उससे एक रॉकेट की माँग करता है, परन्तु वह विक्रेता यह कहते हुए रॉकेट देने से मना कर देता है  कि पाँच पैसे में रॉकेट नहीं आता है। 

 

 बालक निराश हो जाता है और दुकानदार से कहता है, ‘अच्छा मुझे पाँच पैसे के खराब पटाखे ही दे दो?’

 

‘खराब मतलब? वे किस काम आयेंगे?’ ‘मैं उनसे रॉकेट बना लूँगा?

 

दुकानदार बेझिझक खराब यह सोचते हुए की अब ये खराब पटाखे मेरे लिए कबाड़ ही है सो इस बच्चे को दे देता हूं सफाई हो जाएगी.

 

’ इसके बाद वह बच्चा पाँच पैसे में ढेर सारे खराब पटाखों का कूड़ा घर उठा लाया उठा लाया और एक नहीं कई रॉकेट बनाये और उस दिन उसके गाँव में मुस्लिम मोहल्ले में गगन की दूरी नापने वाले दीवाली के रॉकेट केवल उस बालक के आँगन से ही छोड़े गये थे।

 

वह बालक ही आगे चलकर मिसाइल-मैन के नाम से प्रसिद्ध हुआ जी हाँ हम बात कर रहे है एपीजे डॉ अब्दुल कलाम जी की जो आगे चल कर भारत के राष्ट्रपति भी बने.

 

शिक्षा – short motivational story in hindi

यदि मन में कुछ करने की तीव्र इच्छा हो तो आप अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर के प्रतिकूल परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बना सकते हैं।

इसलिए यह सोच कर कभी भी मन छोटा ना करें की मेरे पास साधन की कमी है, इस तरह आपका आत्मविश्वास कमजोर हो जाएगा. खुद पर विश्वास रख कर अपनी creativity को जारी रखे.

तो दोस्तों यह छोटी सी short motivational story in hindi आपको कैसी लगी. उम्मीद करता हु इन तमाम प्रेरणादायक कहानियों से आपको बहुत प्रेरणा मिली होगी.

इन तमाम short moral story in hindi से आपके हौसले बुलंद हुए होंगे और आत्मविश्वास बढा होगा.

 

चलिए बढ़ते है अपनी अगली कहानी की तरफ.

 

जिंदगी बदल देने वाली inspirational घटना. Short motivational story in hindi 

एक बार राष्ट्रीय स्तर की एक बॉलीवुड खिलाडी लड़की

लखनऊ से दिल्ली की तरफ जा रही ट्रेन पद्मावती एक्सप्रेस के एक खाली डिब्बे मे सवार होती है. 

 

कुछ स्टेशनों के बाद उसी डिब्बे मे कुछ शातिर बदमाश भी सवार हो जाते है. 

 

लड़की के गले मे सोने चमकती चेन को देख कर बदमाह अरूणिमा की तरफ बढ़ने लगे,और  गले की चेन खींचने का प्रयास किया, खूब हाता पाई हुई. 

 

लेकिन लड़की अकेली थीं इस वजह से वो उनसे जीत ना पाई. 

गुंडों ने चलती ट्रेन से लड़की को बाहर फेक दिया.

लड़की का एक पैर पटरियों की चपेट मे आने से ट्रेन के टायर उसके पैरो रौंदती हुई निकल गई. 

 

लड़की दर्द से चिल्ला उठी,रात का समय था  जगह बहुत वीरान थी दूर दूर तक कोई इंसान नहीं था, इस वजह से अरूणिमा की आवाज़ कोई सुन नहीं पाया. 

लड़की ने बहुत कोशिस की लेकिन वो खुद को हिला भी नहीं पा रही थीं.. खून बहता रहा सारी  रात ट्रेने टांगो के ऊपर से गजरती रही. एक टांग कट कर पूरी अगल हो चुकीं थीं. 

 

खून की बदबू से चूहें वहाँ जमा हुए और कटे हुए मांस को कुतरना शुरू कर दिया. 

 

सुबह ज़ब कुछ लोग वहाँ से गुज़र रहे थे तो उनकी नजर अरूणिमा पर पड़ी. 

लड़की बेहोश पड़ी थी पर सांसे चल रही थीं. हालत बहुत दयनीय और दिल दहला देने वाली थी  

 

लोगो ने तुरंत पास के hospitel मे एडमिट करवाया. खून चढ़ाया गया. पता चलने पर की अरूणिमा एक नेशनल प्लेयर है तो तुरंत परिजनों को सम्पर्क किया गया.

 

कुछ महीने ट्रीटमेंट चला. ट्रेन हादसे मे लड़की अपने दोनों पैर गवां बैठी थी डॉक्टर ने लड़की को दो नकली पैर लगवा दिए (आर्टिफिशल लेग्स) और डॉक्टर ने साफ बोल दिया की अब तुम्हे अपनी बाकी की जिंदगी इसी व्हील चेयर पर ही गुजारनी होगी.

दोस्तों ये वो सिचूशन थी जिसमे कोई साशरण कमजोर मन का व्यक्ति होता तो शायद सुसाइड कर चुका होता या सारी जिंदगी डिप्रेशन मे काट चुका होता. लेकिन इस लड़की के साथ ऐसा नहीं हुआ.

 

किस्मत ने तो जो करना था वो कर ही दिया था इस लड़की के साथ,  पर वो कहते है ना की गर एक रास्ता बंद होता है तो ईश्वर अनेक रास्ते खोल देता है.

इन्ही सोच के साथ लड़की के मन मे कुछ और ही विचार चल रहे थे….

 

 इस लड़की को शायद ये मंजूर नहीं था  की उसकी जिंदगी दूसरों पर बोझ बन कर रहे और  उसकी जिंदगी दूसरों के सहारो की मोहताज़ बन कर रह जाए 

तो फिर इस लड़की के दिमाग़ मे आखिर  ऐसा क्या चल रहा था जो उसे ऐसा सोचने पर मजबूर कर रही थीं.

 

मैं  अपने आगे के जीवन संघर्ष से लोगो की सोच बदल कर रख दूंगी की इंसान के इरादे ग़र मजबूत हो तो वो कुछ भी हासिल कर सकता है.  

 

एक ट्रेन के दर्दनाक हादसे मे अपने पैर खो चुकीं इस लड़की के अंदर जिंदगी को फिर से  एक नए सिरे से शुरू से करने की उम्मीद और आगे बढ़ कर कुछ बड़ा कर दिखाने का जुनून ये साबित कर चुका था की उसके अंदर एक नेशनल प्लेयर की ताकत आज भी जिन्दा है. 

 

आखिर कार अरूणिमा ने फैसला किया, “वो करने का” जिसके बारें कोई साधारण इंसान सपने मे भी नहीं सोचता. 

 

जी हाँ ये लड़की मन ही मन फैसला कर चुकीं थीं, तमाम चैलेंजिंग हिमालय चोटियों के साथ साथ दुनियां की सबसे ऊंची  चोटी माउंटएवरेस्ट को भी फतेह करने का. 

 

ये बात जैसे ही डॉक्टरों परिवारों को पता चली तो सब हैरान हो गए, कोई हसने लगा तो कोई उसे पागल कहने लगा. तो मजाक समझने लगा. 

लेकिन  इन लोगो की इस हसीं से  इस लड़की के इरादे और मजबूत हो चुके थे. 

 

इस लड़की का ये फैसला अब उसकी आगे की तकदीर लिखने वाला था

 

अपने यही सपने और बुलंद हौसले लिए यह लड़की, माउन्टएवरेस्ट फतेह करने वाली भारत की सबसे पहली महिला बिछेन्दरी पाल के पास ट्रेनिंग के लिए जाती है.

 

दो से तीन सालो की लम्बी  ट्रेनिंग पूरी होने के बाद यह लड़की अब पूरी तरह परफेक्ट थी माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए..

 

एक दिन यह लड़की पूरी टीम के साथ माउन्ट एवरेस्ट फतेह करने निकल पड़ी. कई दिन लग गए आखिर कार तमाम मुश्किलों के बाद सर चंद गिने चुने लोग ही माउन्टएवरेस्ट की चोटी तक पहुँच सके जिनमे स एक यह लड़की भी थी.

 

जी हाँ दोस्तों हम बात कर रहे है अरुनिमा सिन्हा की.

 

जिसने विकलांगता की स्थिति मे भी यह मुकाम हासिल कर के ये साबित कर दिखाया की मनुष्य शरीर से नहीं बल्कि मन से विकलांग होता है जो बस ना करने के बहाने खोजता रहता है वरना मनुष्य अपने आत्मविश्वास, जुनून, निरंतर प्रयास, सही दिशा मे मेहनत, और बुलंद हौसलो से जो चाहे वो हासिल कर सकता है 

 

दोनों पैरों से विकलांग होने के बावजूद भी इस लड़की के इरादे टस से मस ना हुए हौसले इतने बुलंद की लाख तकलीफो के बावजूद भी अपनी कमजोरो को ताकत मे बदल कर दुनियां की सबसे ऊँची चोटी को माउन्ट एवरेस्ट को फतह कर डाला.

 

इस motivational story से हमें सीख मिलती है की गर हौसले बुलंद हो और कुछ करने की आग सीने मे लगी हो और मन मे जुनून सवार हो तो कुछ भी असम्भव नहीं.

 

आप भी इससे प्रेरित होकर अपने मन मे जुनून पैदा करें और कामयाबी हासिल करें.

 

उम्मीद करता हूं दोस्तों इस short motivational story in hindi से आपको बहुत हिम्मत और हौसला मिला होगा. इस motivational and inspirational story को पढ़ने के बाद अब आपको अपनी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं होगी.

 

 

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