dharmik kahaniya bhakti kahani दान का फल – दोस्तों स्वागत है आपका धार्मिक कहानियों इस रोचक दुनिया मे |
यहाँ पर आपको motivational stories के साथ moral stories से मिलने वाले ज्ञान से रुबारू करवाया जाता है |
religious stories in hindi मे हम आपको धार्मिक ज्ञान से जुड़े ऐसे तथ्यों से रूबरू करवाते है जिसके बारे मे बहुत कम लोग ही परिचित होते है |
आज कल इंटरनेट का जमाना है जिस वजह से किताबों का चलन अब इतना नहीं रहा तो इस बात को ध्यान मे रखते हुए हम धार्मिक किताबों से ज्ञान को उठा कर आप तक लेकर आए है |
कुछ धार्मिक ज्ञान ऐसे होते है जिसे हम religious stories in hindi की मदद से आप तक पहुंचाते है |
दोस्तो ऐसी ही हजारो धार्मिक कहानियाँ (dharmik kahaniya) religious stories in hindi शिक्षा प्रद , लोकप्रिय और रोचक कहानियों का ज्ञान हम आप तक लेकर आए है जिन्हे लोगों ने बचपन मे अपने दादा दादी – या नाना- नानी से सुनी होती है या फिर टीवी मे देखी होती है |
लेकिन यहाँ पर आपको ऐसी बहुत सी शिक्षा प्रद , लोकप्रिय और रोचक कहानियाँ मिलेंगी जिसे शायद ही आपने कही सुनी होंगी |
तो पढ़ते रहिए ऐसी कहानियाँ और सीखते रहिए एक नई सीख ,साथ मे ऐसी शिक्षा प्रद कहानियाँ अपने दोस्तो को भी शेयर करते रहिए |
हमारी आज की कहानी है
Table of Contents
दान का फल |dharmik kahaniya- bhakti kahani
दोस्तो ऐसा हिन्दू धर्म मे माना गया है की इन्सानो के द्वारा किया गया कोई भी दान का फल उसे ज़रूर मिलता है |
हिन्दू पुराणों (dharmik kahaniyon) मे कर्मो के बारे भी विस्तार से बताया गया है की इंसान अपनी पूरी ज़िंदगी मे जो भी धर्म कर्म करता है तो उसका फल उसको इस जन्म मे और अगले जन्म मे भी मिलता है अच्छे कर्मो का अच्छा फल बुरे कर्मो का बुरा फल |
एक बार ऐसे ही नारद मुनि के मन मे धर्म कर्म से मिलने वाले परिणामो को लेकर मन मे अलग अलग प्रकार विचार आने लगे |
तब वह अपने यह विचार लेकर ब्रम्हा जी के पास जाते है | नारद जी ब्रम्हा जी के सामने अपने विचार प्रकट करते हुए बोलते है – हे परम् पिता ब्रम्हा जी, इंसान के द्वारा किए गए दान का फल उसे धरती पर और मरने के बाद किस रूप मे मिलता है ?
दान का फल dharmik kahaniya bhakti kahani
तब ब्रम्हा जी , नारद जी के इन सवालो का उत्तर देते हुए बोलते है की –
- नारद ! जब इंसान बिना किसी लालच भाव से हमेशा के लिए किसी को कुछ देकर उसकी सहायता करता है तो इसे दान कहा जाता है यह दान कई प्रकार के होते है कई रूप मे होते है |
- दिल से और बिना किसी लोभ के किया गया छोटे से छोटा दान भी उतना ही पुण्य माना जाता है जितना बड़ी से बड़ी वस्तु का दान |
रही बात इन दान के फल की तो उसका फल उसे मरने से पहले और मरने के बाद दोनों अवस्थाओ मे मिलता है |
सबसे पहले यह जान लो की मरने के बाद कैसे दान का फल मिलता है ?
मरने के बाद इंसान की आत्मा को यमलोक के दूत जिस रास्ते से यमलोक ले जाते है , वह रास्ते दो प्रकार के होते है. एक बेहद सुकून भरा आराम दायक जो कि अच्छी और महान आत्माओ के लिए होता है.
दूसरा रास्ता बेहद कठिन होता है उस रास्ते पर आत्मा को ठिठुरा देने वाली सर्द हवाए चलती है
अब इस मौके पर यदि उस इंसान ने किसी को कोई गरम कपड़े दान दिये होंगे तो उसे भी यहाँ उसे इन ठंड हवाओ को झेलने के लिए वेसि ही मदद मिलेगी |
ठीक इसी प्रकार यदि इस इंसान ने किसी भूखे को खाना खिला कर या फिर किसी फकीर को अन्न दान किया होगा तो इसे यहाँ भी भोजन मिल जाएगा |
इस प्रकार इंसदन का दान उसे मरने के बाद भी मदद के रूप मे रास्ते मे मिलता है |
श्री मदभागवत गीता मे लिखा है इसी प्रकार दूसरों की निःस्वार्थ भाव से की गई सेवा सदैव आपके जीवन मे फलदायी सिद्ध होती है .
इसी सच्ची सेवा भावना के बदले मे दूसरों के मुंह से निकली हुई दुआ प्रार्थना आशीर्वाद आपके जीवन के दुःख दूर कर देती है बल्कि आपके लिए स्वर्ग के दरवाजे तक खोल देती है |
दूसरी तरफ ब्रम्हा जी नारद को इसी पर एक कहानी सुनाते है –
बहुत समय पहले की बात है की भगवान शिव की नागरी कही जाने वाली काशी मे एक राजा राज करता था | राजा बड़ा ही धार्मिक स्वभाव का था |
उसे आध्यात्मिक ज्ञान मे बहुत रुचि थी | एक दिन राजा के मन मे सवाल आया की किसी भी इंसान मरने से तुरंत पहले और बाद मे उसके शरीर के साथ क्या होता है ?
क्या सच मे शरीर मे कोई आत्मा होती है ? यदि हाँ तो वो आत्मा कहा जाती है ? क्या होता है आत्मा के साथ ?
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अब राजा अपने इन सवालो को अगले दिन अपने दरबार मे उपस्थित सभी लोगो के सामने रखता है |
राजा का यह सवाल सुनते ही राज दरबार मे उपस्थित राजा के सभी मंत्री और विद्वान निरुत्तर हो जाते है यानि कोई भी राजा के सवालो सही जवाब नहीं दे पाता |
काफी देर सोच विचार करने के बाद राजा दरबार मे यह ऐलान करते है की मेरे सारे राज्य में यह ढिंढोरा पिटवा दिया जाए कि जो आदमी कब्र में मुरदे के समान लेटकर रात भर कब्र में मरने के बाद होने वाली सभी क्रियाओं के बारे बताएगा, उसे पांच सौ सोने की मोहरें भेंट दी जाएंगी। राजा के आदेशानुसार सारे राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया गया।
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उसी राज्य मे एक बहुत ही कंजूस और लालची इंसान रहता था जो धन के लिए कुछ भी कर सकता था |
ढिंडोरा पीट रहे लोगो की आवाज़ और बाते जब इस लालची और कंजूस आदमी के कानो मे घुसी तो तुरंत भागता हुआ धन की लालच मे राजा के पास पहुँच जाता है और बोलता मैं रात भर कब्र मे लेटने को तैयार हु |
फिर राजा ने अपने नौकरो को आदेश दिया इस आदमी के लिए अर्थी सजाई जाए | फिर अर्थी सजाई जाती है | अब सब लोग उस आदमी को लेकर जाया जाता है |
रास्ते मे एक भिखारी (यह भिखारी उसी कब्र मे लेटने वाले आदमी का दोस्त होता है) उस आदमी का पीछा करने लगता है उस उस आदमी के पास आता है और बोलता है की तुम तो अब मर जाओगे तुम्हारे पास जो भी धन है मुझे दे दो अब उस धन का क्या होगा |
बार बार यही बोल कर वह भिखारी आदमी का दिमाग खाए जा रहा था कंजूस के बार बार मना करने पर भी भिखारी ने उस कंजूस आदमी का पीछा नहीं छोड़ा और बारबार पैसा मांगने की रट लगाए जा रहा था ।
आखिर कंजूस जब एकदम परेशान हो गया तो उसने कब्रिस्तान में पड़े बादाम के छिलकों के एक ढेर में से मुट्ठी भर छिलके उठाए और उस फकीर को दे दिए। भिखारी वहाँ से चला गया |
बाद में कंजूस को एक कब्र में एक मुर्दे के साथ लिटा दिया गया और ऊपर से पूरी कब्र बंद कर दी गई। कब्र मे बस एक छोटा से छेद सिर की तरफ इस आशा के साथ कर दिया गया कि यह इससे सांस लेता रहे और अगली सुबह राजा को मरने के बाद का पूरा हाल सुनाए। सभी लोग कंजूस को उस कब्र में लिटाकर चले गए।
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रात होने पर एक सांप कब्र पर आया और छेद देखकर उसमें घुसने का प्रयत्न करने लगा। कब्र मे इस प्रकार की हलचल को देख कंजूस समझ गया की यह तो साप है कंजूस घबरा जाता है |
इधर साप जैसे ही कब्र मे घुसने की कोशिश करता है तो उस कब्र मे बादाम के काफी सारे छिलके साप के रास्ते का एक रुकावट बन कर फस जाते है |
साफे अब आगे नहीं बढ़ पाता यानि कब्र के अंदर नहीं घुस पाता | साप बौट प्रयत्न के बाद जब वापिस चला जाता है तो कंजूस आदमी राहत की सास लेता है |
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तभी कंजूस आदमी यह सोचता है की साप अंदर क्यो नहीं आ सका कंजूस आदमी अपना हाथ से टटोलता है तो उसे बादाम के बहुत सारे छिलके फसे हुए मिलते है |
उसी समय कंजूस आदमी का दिमाग चकरा जाता है इसी छिलको की वजह से आज मेरी जान बची है शायद यह मेरे उस दान का परिणाम है जो मैंने उस भिखारी को दिये थे| अब कंजूस आदमी समझ जाता है की दान की वजह से मै बच गया जान है जहान है |
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अब सुबह होते ही राजा के सभी नौकर बड़ी जिज्ञासा के साथ कब्रिस्तान आए और जल्दी ही कब्र को खोदकर कंजूस को निकाला। मरने के बाद क्या होता है, यह हाल सुनाने के लिए कंजूस को राजा के पास चलने को कहा।
कंजूस ने राजा के नौकरों की बात को अनसुना कर दिया और तुरंत भाग कर फले अपने घर गया और अपना सारा धन निकाल कर सभी गाव के लोगो और भिखारियों मे बाट देता है | भिखारी की इस हरकत और दयालुता को देख कर सब लोग हैरान थे |
इसके बाद अंत में कंजूस को राज दरबार में पूरा हाल सुनाने के लिए राजा के सामने पेश किया गया। कंजूस ने बीती रात, सांप व बादाम के छिलकों के संघर्ष की पूरी कहानी कह सुनाई और कहा, ”महाराज, मरने के बाद सबसे ज्यादा दान ही काम आता है, अतः दान करना ही सब धर्मों से श्रेष्ठ है।“
तो दोस्तो जीवन के इस अद्भुत ज्ञान से भरी dharmik kahaniya bhakti kahani आपको कैसी लगी कमेन्ट करके जरूर बताना |
यहाँ हम आपके लिए ऐसी motivational stories लेकर आते है ,जिसे पढ़ने से आपके जीवन मे न सिर्फ एक सकारात्मक बदलाव आता है बल्कि आप अपनी ज़िंदगी मे वो सब कुछ हासिल कर पाते हो जिनकी आपने कल्पना की थी – जिन कामयाबी की उचाइयों को छूने के सपने आपने अपनी खुली आखों से देखे थे |
यहाँ हम आपके लिए moral stories भी लेकर आते है हर कहानी मे एक सीख जरूर छुपी होती है जिनसे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है जो आपकी ज़िंदगी मे बहुत काम आती है |
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बहुत ही ज्ञान वर्धक कथा | आपका ह्रदय से आभार |
आपका धन्यवाद राजकुमार जी | आप लोगो की यह सकारात्मक टिप्पणी ही मेरे हौसलों को मजबूती प्रदान करती है |
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