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Best Hindi moral story for class 6

Hindi moral story for class 6 – बच्चो के लिये नैतिक कहानी.

नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आप सभी का आज फिर से एक और ज्ञान से भरी moral story रीमा की बकरी मे. आज की यह शिक्षाप्रद कहानी बहुत ही रोचक ज्ञान से भरी है. 

 

Hindi moral story for class 6

एक समय कि बात है एक छोटे से गाँव में एक गरीब लड़की रीमा अपनी माँ के साथ छोटी सी झोपड़ी में रहती थी।

उनके पास अजीवका चलाने के लिए सिर्फ एक बकरी थी उसमे से जो दूध प्रतिदिन उन्हें मिलता था उसे बेच कर उनका गुज़ारा होता था।

दूध में से जो अतरिक्त मलाई उनके बर्तनमें लग जाती थी। रीमा हर पंद्रह दिनोमें उस इकठ्ठा की हुई मलाई में से घी निकाल लेती और दूर गाँव में बेच कर अतरिक्त कमाई करलेती थी,इस प्रकार उन माँ बेटी का गुज़ारा हो जाता था।

एक दिन रीमा बकरी को लेकर घास चराने नदी पार ले कर गई  उसके हाथ में बकरी के दूध से निकली मलाई से बना शुद्ध घी का डब्बा भी था.

उसकी बकरी वहां घाँस चर रही थी।रीमा को प्यास लगी उसने डब्बा एक पेड़ केनीचे रखा,वो पानी पीने नदी की तरफ चल पड़ी. कुछ देर मे रीमा जब वो पानी पी कर लौटी तो देखा की बकरी वहां नहीं थी जहाँ छोड़ कर रीमा उसे गई थी फिर उसने डब्बा देखा तो वो भी पेड़ के नीचे नहीं था. रीमा बहुत घबरा गई उसने बकरी को बहुत ढूँढा पर उसे नहीं ढूंढ पायी जंगल में घूमते घूमते साँझ हो गई रीमा मायूस थकी हारी घर वापस लौट आयी।

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Hindi moral story for class 6

तीन दिन गुज़र गए, रीमा और उसकी बूढी माँ ने कुछ नहीं खाया था आखिर वो बकरी ही तो उनका गुज़र बसर का एक मात्र साधन थी

रीमा और उसकी माता ने निश्चय किया कि उन्हें अपने गाँव के मुखिया से मदद मांगनी चाहिए वो अपने घर पर बैठे विचार ही कर रही थीं,तो बाहर उन्हें अपनी बकरी की मिमियाने की आवाज आई। रीमा की आँखों में एकाएक चमक आगई, उसने भाग कर अपनी झोपडी का दरवाजा खोला तो क्या देखा एक औरत उसे रस्सी से बांध कर  खींचती हुई ले जारही थीं रीमा ने उसे रोका और बोला, सुनो!ये मेरी बकरी है ये तुम्हे कहाँ मिली उस औरत ने उसे आंखे दिखा कर जोर से चिल्ला दिया और कहा,  “तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है ये मेरी बकरी है “थोड़ी ही देर में शोरशराबा सुन आसपास के लोग जमा हो गए,दोनों में विवाद जब बढ़ गया तो बुजुर्गों ने कहा,”मुखिया के पास चलो।”

मुखिया ने दोनों का तर्क सुना रीमा ने कहा ये मेरी ही बकरी है, मै इसे पहचानने में गलती नहीं कर सकती मैंने इसे पाला है इसका रोज दूध निकाला है मुझे अच्छे से याद है इसके दूध को बेचने के बाद बर्तन में जो मलाई चिपक जाती थीं उसे में इकठ्ठा कर कर के घी बनाती थीं,कहते कहते रीमा भावुक हो गई और प्यार भरी नज़रों से अपनी बकरी की तरफ देखने लगी उसकी आँखों में आंसू आगये।

फिर क्या था वो औरत जोर जोर से हँसने लगी बोली मुखिया जी, “इस कल की छोकरी ने बढ़िया नाटक दिखाया इतनी सेवा बकरी की मेने करी और दो आंसू बहा कर सारी कहानी ही बदल डाली,जरा पूछे घी तो घर में रखा होगा जो बकरी के दूध से निकालती थीं।”मुखिया जी ने रीमा की तरफ सवालिया नज़रों से देखा।

रीमा स्तब्ध सी खड़ी थी उसके पास इस बात का कोई जवाब नहीं था।

चतुर औरत ने अपने झोले में से रीमा का शुद्ध घी का डब्बा निकाला और मुखिया जी के सामने रख दिया और मन ही मन मुस्कारने लगी।

रीमा और उसकी माँ समझ गईं थीं कि ये उस दुष्ट औरत की पूर्व निर्मित योजना थीं वो दोनों हताश होकर रह गईं

मुखिया ने थोड़ा समय गहन विचार किया। फिर उन्होंने अपनी उंगली से अपनी अंगूठी उतार कर अपने दास को दीं और कहा घर के बाहर जो  कीचड से भरा नाला है उसमें डाल दो दास बाहर गया और कार्य कर दिया, अबमुखिया जी ने रीमा औऱ उस औरत को कहा,”तुम दोनों बाहर नाले में से मेरी अंगूठी ढूंढ लाओ जिसने ये काम कर दिया ये बकरी औऱ अंगूठी दोनों उसको दे दीं जाएगी

रीमा औऱ दुष्ट औरत दोनों बाहर गईं औऱ नाले में प्रवेश कर अंगूठी ढूंढ़ने लगीं, ढूंढते ढूंढते बहुत समय निकाल दिया पर अंगूठी किसी को नहीं मिली। जब दोनों थक हार के कीचड़ में से निकली तो उनके हाँथ पैर सब गंदे हो चुके थे।

मुखिया ने दोनों के लिए एक एक लोटा जल मंगवाया और दोनों को उसी पानी से साफ हो कर घर मे आओ.

अब दुष्ट औरत तो दुविधा में पड़ गईं जैसे तैसे उसने जब स्वयं की सफाई की तो मुश्किल से अपने हाथ भी नहीं धो पायी,और दूसरी तरफ रीमा ने उस लोटे के जल से अपने हाथ पैर बहुत अच्छे से साफ कर लिए बिना किसी परेशानी के।

जब दोनों औरते घर में प्रवेश हुईं तो देखते ही मुखिया ने रीमा की तरफ इशारा करते हुए कहा, “ये लड़की सच बोल रही है,इसे इसकी बकरी और घी देदो।”ये सुन कर पूरागाँव हैरान हो गया उन्होंने जिज्ञासा वश मुखिया जी से पूछा,”अपने ये कैसे निर्णय लिया “मुखिया ने कहा,”जो इंसान एक इतने से जल से अपना पूरा शरीर साफ करने की जुगति रखता हो उसी को बर्तन पर लगी मलाई को इकठ्ठा करके घी बनानेकी कला औऱ धीरज़ हो सकता है।

येवाक्य सुन कर सभी बड़े संतुष्ट हो गए और अपने अपने घर चले गए.

रीमा भी अपनी बकरी और घी को लेकर घरकी तरफ जाने लगी वो खुश थी.

मुखिया ने उसे अपनी अंगूठी इनाम में दी और उस औरत को फिर कभी ऐसी धोखा धड़ी नहीं करने की चेतावनी दी और छोड़ दिया. दुष्ट औरत  अपमान और क्रोध के आंसू लिए चलती बनी।

Moral story रीमा की बकरी – कहानी से सीख 

 इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि मनुष्य के अंदर इतना हुनर होना चाहिए क़ी वो थोड़े से संसाधन से अपना कार्य करले और बचत और जुगत सेजीवन   जिए। कर्म और गुण कभी न कभी  जीवन  में अपना प्रभाव जरूर दिखाते हैँ।

तो दोस्तों, आज की ये Hindi moral story for class 6 आपको कैसी लगी. हम अपने blog पर रोजाना ऐसी ही तमाम ज्ञान से भरी शिक्षाप्रद कहानियाँ प्रकाशित करते रहते है. हमारे blog से जुड़े रहे.

 

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