moral story कर्मो की सजा – नमस्कार दोस्तों स्वागत है आज आपका एक और moral story कर्मो का फल कहानी में में. जिन लोगो का यह सोचना है की कर्म कैसे भी करो कोई फर्क नहीं पड़ता तो उन लोगो को आज ये moral story जरूर पढ़नी चाहिये.
किसी को बुरा बोलना, चुगली करना, बुराई करना, जलन व इर्षा का भाव रखना यह सब आपकी तरक्की व खुशियों को रोक देते है. आपके जीवन में गहरा प्रभाव डालते है.
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moral story कर्मो की सजा
एक बहुत बूढ़ा होने की वजह से कोई काम नहीं कर पाता था की जीविका कमा पाए ना जाने किन कर्मो की वजह से आज उसका ये हाल था की वो रोज घर घर जाकर भीख मांग कर गुजारा करने पर मजबूर था.
वह भिखारी रोज एक दरवाजे पर जाता और भीख के लिए आवाज लगाता, और जब घर का मालिक बाहर आता तो उसे गंदी_गंदी गालिया और ताने देता, वह बोलता – मर जाओ, काम क्यूं नही करतें, जीवन भर भीख मांगतें रहोगे,हमने क्या यहां पैसो का पेड़ लगा रखा है या खैरात बांट रही जो रोज मु उठाए चले आते हो.
कभी_कभी गुस्सें में उसे धकेल भी देता, पर भिखारी बस इतना ही कहता, ईश्वर तुम्हारें पापों को क्षमा करें,एक दिन सेठ बड़े गुस्सें में था, शायद व्यापार में घाटा हुआ था, वो भिखारी उसी वक्त भीख मांगने आ गया, सेठ ने आव देखा ना ताव, सीधा उसे पत्थर दे मारा,
भिखारी के सर से खून बहने लगा, फिर भी उसने सेठ से कहा ईश्वर तुम्हारे पापों को क्षमा करें, और वहां से जाने लगा, सेठ का थोड़ा गुस्सा कम हुआ,
तो वह सोचने लगा- मैंने उसे पत्थर से भी मारा पर उसने बस दुआ दी, इसके पीछे क्या रहस्य है जरूर इसकी life में कुछ तो घटना हुई है,जानना पड़ेगा,
इतना सोच सेठ – भिखारी के पीछे चलने लगा,भिखारी जहाँ भी जाता सेठ उसके पीछे जाता, कही कोई उस भिखारी को कोई भीख दे देता तो कोई उसे मारता, जलील करता गालियाँ देता ,
पर भिखारी इतना ही कहता, ईश्वर तुम्हारे पापों को क्षमा करें, अब अंधेरा हो चला था, भिखारी अपने घर लौट रहा था, सेठ भी उसके पीछे था, भिखारी जैसे ही अपने घर लौटा, एक टूटी फूटी खाट पे, एक बुढिया सोई थी, जो भिखारी की पत्नी थी, जैसे ही उसने अपने पति को देखा उठ खड़ी हुई और भीख का कटोरा देखने लगी, उस भीख के कटोरे मे मात्र एक आधी बासी रोटी थी, उसे देखते ही बुढिया बोली बस इतना ही और कुछ नही, और ये आपका सर कहा फूट गया ?
भिखारी बोला, हाँ बस इतना ही किसी ने कुछ नही दिया सबने गालिया दी, पत्थर मारें, इसलिए ये सर फूट गया, भिखारी ने फिर कहा सब अपने ही पापों का परिणाम हैं,
याद है ना तुम्हें, कुछ वर्षो पहले हम कितने रईस हुआ करते थे, क्या नही था हमारे पास, पर हमने कभी दान नही किया, याद है तुम्हें वो अंधा भिखारी, बुढिया की ऑखों में ऑसू आ गये और उसने कहा हाँ, कैसे हम उस अंधे भिखारी का मजाक उडाते थे, कैसे उसे रोटियों की जगह खाली कागज रख देते थे, कैसे हम उसे जलील करते थे ।
कैसे हम उसे कभी_कभी मार और धकेल देते थे, अब बुढिया ने कहा हाँ सब याद है मुझे, कैसे मैंने भी उसे राह नही दिखाई और घर के बनें नालें में गिरा दिया था, जब भी वहाँ रोटिया मांगता मैंने बस उसे गालियाँ दी, एक बार तो उसका कटोरा तक फेंक दिया,और वो अंधा भिखारी हमेशा कहता था, तुम्हारे पापों का हिसाब ईश्वर करेंगे,
मैं नही, आज उस भिखारी की बद्दुआ और हाय हमें ले डूबी,फिर भिखारी ने कहा, पर मैं किसी को बद्दुआ नही देता, चाहे मेरे साथ कितनी भी ज्यादती क्यूँ ना हो जाए, मेरे लब पर हमेशा दुआ रहती हैं, मैं अब नही चाहता की ,
कोई और इतने बुरे दिन देखे, मेरे साथ अन्याय करने वालों को भी मैं दुआ देता हूं, क्यूकि उनको मालूम ही नही, वो क्या पाप कर रहें है, जो सीधा ईश्वर देख रहा हैं, जैसी हमने भुगती है, कोई और ना भुगते, इसलिए मेरे दिल से बस अपना हाल देख दुआ ही निकलती हैं ।
सेठ चुपके_चुपके सब सुन रहा था, उसे अब सारी बात समझ आ गयी थी, बुढे_बुढिया ने आधी रोटी को दोनो मिलकर खाया, और प्रभु की महिमा है बोल कर सो गयें,
अगले दिन, वहाँ भिखारी भीख मांगने सेठ कर यहाँ गया, सेठ ने पहले से ही रोटिया निकल के रखी थी, उसने भिखारी को दी और हल्की से मुस्कान भरे स्वर में कहा, माफ करना बाबा, गलती हो गयी, भिखारी ने कहा, ईश्वर तुम्हारा भला करे, और वो वहाँ से चला गया.
सेठ को एक बात समझ आ गयी थी, इंसान तो बस दुआ_बद्दुआ देते है पर पूरी तो वो ईश्वर ही करता है वो भी कर्मो के हिसाब से.
कहानी से सीख – moral from this story
तो दोस्तों देखा आपने, की कैसे हमारे कर्म हमें किस तरह की जिंदगी जीने पर मजबूर कर देते है. इसलिए जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करो कभी किसी का बुरा मत करो. ईश्वर आपकी खुशियों को बनाए रखेगा. बड़े बड़े दुख मुसीबते आपके जीवन से टल जाएंगे.
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