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Moral story सारस पक्षी का ज्ञान

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Moral story सारस पक्षी का ज्ञान – शिक्षाप्रद कहानी – नैतिक कहानी 

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आज आपका एक ज्ञान से भरी कहानी moral story सारस मे. आज की इस कहानी से आपको जीवन का एक अनमोल ज्ञान मिलेगा.

तो चलिए आज की moral story को शुरू करते है.

 

Moral story सारस पक्षी का ज्ञान

एक किसान के बड़े से खेत मे एक सारस दो अंडो को जन्म दिया. अंडो मे से बच्चे निकलने मे अभी काफ़ी समय था. खेत मे फ़सल भी अभी छोटी थी. कुछ समय बाद अंडो से बच्चे निकलने शुरू हुए. फ़सल भी अब काफ़ी बड़ी हो चुकी थी.

 

बच्चे अंडे से बाहर आए, बच्चों की माँ सारस ने बच्चो को बड़ा लाड प्यार किया. कुछ समय और बीता फ़सल अब पक चुकी थी किसान ने भी खेत मे अब आना जाना शुरू कर दिया था.

 

इधर सारस के बच्चे थोड़े बड़े तो हो गए थे और पँख भी आगए थे लेकिन पँख अभी बहुत कमजोर थे इसलिए वो अभी उड़ नहीं सकते थे.

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बच्चो के लिए सारस माँ ही इधर उधर से खाना लेकर आती थी.

 

एक दिन बच्चो ने किसान को खेत मे पहली बार देखा. किसान को देख बच्चे काफ़ी दर गए और सहम गए. किसान ने खेत मे जो भी बातें बोली वो सब सारस के बच्चो न सुन लिया.

 

सारस की माँ ज़ब शाम को खाना लेकर अपने बच्चो के पास आई तो बच्चे काफ़ी डरे और सहमे हुए मिले.

माँ ने कारण पूरा तो बच्चो ने बताया की – “माँ इस खेत का किसान आता था और यहां पर खड़ा हो कर काफ़ी देर तक फसलों को देखता रहा फिर बोलता है की मै कल मज़दूरों से कह कर खेत की सारी फसले कटवा दूंगा.

 

यह सुन सारस माँ बोली, अरे फिर तुम बिलकुल भी मत घबराओ, चिंता मत करो कुछ नहीं होगा.

 

कुछ दिन बाद किसान फिर से आया और कहने लगा की – “क्या करें! खुद खोजा कोई मज़दूर नहीं मिला सब दूसरे कामों मे व्यस्त कोई आने को तैयार नहीं हुआ सब पहले किसी और जगह बुक है अब कल अपने भाई रिश्तेदारों को बोलता हु फ़सल काटने को.

 

बच्चे फिर से दर गए माँ ज़ब शाम को बच्चो के लिए खाना लेकर आई तो बच्चे फिर से डरे हुए मिले और बोलने लगे माँ – वो किसान फिर से आया था और इस बार बोल रहा था की वो कल अपने रुश्तेदारों को लेकर आएगा फ़सल काटने के लिए.

 

इस बार माँ फिर वहीँ बोली की चिंता मत करो कुछ भी नहीं होगा कोई नहीं आएगा फ़सल काटने. आप निश्चिन्त होकर खाना खाओ सो जाओ.

 

काफ़ी समय बीत गया अब बच्चो के पँख भी अब मजबूत हो चुके थे अब बच्चो की माँ सारस ने बच्चो को धीरे धीरे उड़ना सिखाया.

 

समय बीतता गया खेत की फ़सल ज्यो की त्यों इस बार किसान फिर आया और अब कहने लगा की सब बहाने मार गए फ़सल झड़ती जा रही है बहुत नुकसान हो रहा अब फसलों कल सुबह मै खुद आकर आता लूंगा वरना काफ़ी नुकसान हो जाएगा.

 

बच्चो ने सारस माँ को ज़ब किसान की यह बात बताई की इस बार किसान बोल रहा था की वो कल खुद आकर फसलों की कटाई करेगा.

तभी माँ घबराते हुए बोली! अरे, फिर तो हमें यहां से तुरंत कुसी दूसरी सुरक्षित जगह पर जाना होगा.

 

इस बार बच्चे माँ की इस बात को सुनकर बहुत सवालों से भर गए की माँ ऐसा क्यों बोल रही हो अभी तक आप ऐसा नहीं बोले तो अब क्यों? आखिर अब क्या खतरा है?

 

माँ बोली – बेटा ज़ब तक कोई व्यक्ति किसी दूसरे पर अपने काम के पूर्ण होने की उम्मीद लगाए रखता तब तक उस काम के सम्पूर्ण होने की उम्मीद बहुत कम रहती है लेकिन ज़ब कोई इंसान खुद से ठान ले की अब अपने कार्य को मे स्वयं ही पूर्ण करूंगा तो अवश्य ही वह कार्य जरूर पूर्ण होता है.

 

इसलिए वो किसान कल सुबह अवश्य आएगा और फ़सल काटेगा अतः हमें अब यहां से जल्द ही दूसरी जगह खोजनी होगी चलो.

 

तभी बच्चे तुरंत अपनी सारस माँ के पीछे उड़ने लगे और सूरज ढलने से पहले एक नए सुरक्षित स्थान पर पहुँच गए.

Moral story सारस पक्षी का ज्ञानक कहानी से सीख – 

तो दोस्तों इस कहानी से बहुत खूसूरत सीख निकलकर आती है की ज़ब तक कोई व्यक्ति अपने काम के लिए दूसरों पर आश्रित रहता है तो कार्य के सही तरीके से सम्पन्न होने की उम्मीद बहुत कम रहती है.

 

इसलिए अब से अपने हर काम को स्वयं ही करने और सीखने का जज़्बा और ताकत रखो दूसरों के भरिसे मत रहो. जिंदगी दूसरों के भरोसे नहीं कटती.

 

जिंदगी मे आगे बढ़ना है तो खुद को सशक्त बनाओ आत्मनिर्भ बनाओ.

 

उम्मीद करता हु यह moral story सारस आपको बहुत पसंद आई होगी.

 

हम अपने blog पर ऐसी ही तमाम ज्ञान से भरी शिक्षाप्रद नैतिक कहानियाँ लाते रहते है हमारे blog पर बने रहे.

 

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