New Moral story उम्मीदें – दोस्तों आज की यह moral story आपको बताएगी की हद से ज़ादा उम्मीदें किस तरह इंसान के जीवन मे दुख व निराशा का बड़ा कारण बनती है.तो आखिर तक इस शिक्षाप्रद कहानी को पढ़ीए.
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New moral story उम्मीदें
एक बार की बात है एक साधु अपने शिष्य के घर पर ठहर गए, उनका शिष्य…. काफी अमीर आदमी था.
उसके बहुत से व्यापार थे… उसके घर में क़ई नौकर चाकर भी थे.
सब कुछ बढ़िया चल रहा था, साधु महाराज…..साल में एक बार व्यक्ति के घर आकर जरूर ठहरते थे.
क्यों की वो व्यक्ति जिस शहर में रहता था, उस शहर में साधु महाराज के गुरु का एक मंदिर भी था.
इसलिए साधु महाराज जब भी अपने गुरु से मिलने आते थे तो अपने शिष्य के घर एक रात जरूर ठहरते थे,… इससे पहले जब भी साधू महाराज घर आते थे शिष्य काफी खुश और उत्साहित दिखता था.
लेकिन साधु महाराज जब इस बार शिष्य के घर आये तो उन्होंने अनुभव किया, कि आजकल शिष्य काफी परेशान दिख रहा है, साथ ही चिंता और दुख में रह रहा है.
साधु महाराज ने उनके पत्नी से पूछा कि आजकल क्या बात है आपके पति क्यों इतना उदास रह रहे है क्या कोई बड़ी परेशानी आ गई है?
तब शिष्य के पत्नी ने कहा कि हां आजकल उनको व्यापार में 10 लाख रुपए का फायदा हो गया है.
तो फिर साधु महाराज ने कहा फिर इसमें चिंता की क्या बात है और टेंशन लेने की क्या बात है यह तो बहुत खुशी की बात है की 10 लाख रुपए की अधिक कमाई हुई है…
मुस्कुराते हुए पत्नी ने बोला,कि हां……यदि आप उनसे पूछेंगे तो वह बोलेंगे कि मुझे व्यापार में 10 लाख रुपए का नुकसान हुआ है.
ये सभी बातें सुनकर साधु महाराज आश्चर्य में पड़ गए उन्होंने कहा,आप तो पहेलियां बुझा रही हो आखिर बात क्या है…
अभी बोल रही थी कि ₹10 लाख रूपये का फायदा हुवा है और फिर बोल रही हो की बिजनेस में 10 लाख रूपये का नुकसान हुआ है.
शिष्य की पत्नी ने हंसते हुए कहा- महाराज! मै बिल्कुल सही कह रही हु…मेरे पति को फायदा और नुकसान दोनों एक साथ ही हुए हैं तब साधू महाराज और भी सोचने लगे और साधू महाराज ने फिर पूछा कि ये कैसे हो सकता है…
तब पत्नी ने कहा- मेरे पति को 10 लाख का नुकसान हुआ है क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि बिजनेस से 20 लाख रुपए का फायदा होगा.
इसलिए वे आजकल ये सोच कर उदास हो रहे है कि उन्हें ₹10 लाख का नुकसान हो गया है.
साधु महाराज को ये बात बिल्कुल ही अजीब लगी.
लेकिन शाम को जब साधु महाराज के पास शिष्य बैठा हुआ थ, तब साधू महाराज ने शिष्य से उसकी चिंता का कारण पूछा…
तो उसने कहा, की क्या बताऊं गुरुजी- बिजनेस में ₹10 लाख का नुकसान हो गया मुझे ₹20 लाख रूपये के फायदे की उम्मीद थी
लेकिन फायदा सिर्फ ₹10 लाख रूपये का ही हुवा…
ये सभी बातें सुनकर साधु महाराज मुस्कुराए और मन ही मन सोचने लगे….कि इस इंसान का ध्यान 10 लाख रुपए के नुकसान की तरफ ही है, लेकिन जो ₹10 लाख रूपये का फायदा हुआ है उस तरफ इस व्यक्ति का ध्यान ही नहीं है
क्योंकि यह इंसान केवल उम्मीद पर ही टिका था कि मुझे 20 लाख का फायदा हो.
तब गुरु ने उसे समझाया की तुम्हारी परेशानी व उदासी का कारण तुम्हारी बड़ी उम्मीदें, और देखने का नजरिया है, जो नकारात्मक है, और इसी वजह से तुम्हारा ध्यान बार बार 10लाख रुपए के नुकसान की तरफ जा रहा है जबकि तुम उसकी जगह ये सोच कर खुश भी रह सकते हो, की तुम्हे 10लाख रुपए का फायदा हुआ है.
यानी अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखो.
दोस्तों जरा सोचिये की उस इंसान को अगर, केवल ₹10 लाख के फायदे की उम्मीद होती, तो क्या वो इंसान उदास होता,? बिल्कुल ही नहीं
और अगर उसे सिर्फ ₹5 लाख रूपये की ही उम्मीद होती और ऐसे मे गर उसे 10 लाख रुपए का फायदा हो जाता, तब तो वो कितना खुश होता…
यानी एक बात यहां पर साफ साफ दिखती है की इंसान के दुख का एक बड़ा कारण उसकी उम्मीदे उसकी आकांशाए, और उसके देखने व सोचने के गलत नजरिये ही होते है.
इंसान बड़ी बड़ी उम्मीदें और आकांक्षा अपने मन में बना लेते हैं,कि मुझे यह मिल जाए मुझे वह मिल जाए और इन सभी चीजों के चक्कर में अगर कोई चीज नहीं मिलती है, तो इंसान उस बात को लेकर सोचने लगता हैं और उदास हो जाता है.
इसलिए जीवन मे उम्मीदें उतनी ही रखो जितनी मेहनत की हो. की गई मेहनत से ज़ादा बेहतर परिणाम की उम्मीद रखना आपको निराशा की ओर धकेलेगी. तो दोस्तों उम्मीद करता हूं की आपको इस कहानी से बहुत सीख मिली होगी.
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