Top 10 short moral stories in hindi – टॉप 10 शार्ट मोरल स्टोरीज़ इन हिंदी – दोस्तों हर इंसान के जीवन मे फिर चाहे वो बच्चा हो जवान हो या फिर बूढ़ा, सबके लिए short moral stories बहुत ही बड़ा रोल निभाती है.
Short Moral stories का मतलब होता है लघु शिक्षाप्रद कहानियाँ.
हम आपके लिए रोज शिक्षा से भरी ऐसी कहानियाँ लें कर आते है. जिनसे आपको जीवन की अनमोल सीख सीखने को मिलती है.
Short moral stories को पढ़ना और समझना बहुत आसान होता है. जिसे पढ़ने मे समय भी कम लगता है और इन short moral stories से बहुत सि जरुरी ज्ञान की बातें निकल कर आती है जिनसे जीवन की बहुत सि परेशानिया हल हो जाती है.
तो चलिए story शुरू करते है
Table of Contents
चिड़िया का घोषला | hindi short moral stories
ज्ञान भरी ऐसी ही तमाम videos को देखने के लिए यहां click करो
एक चिड़िया ने एक खेत मे अपना घोंसला बना कर उसमे अंडे दिये. उसमे समय आने पर दो बच्चे निकले.
चिड़िया बच्चो की भूख मिटाने के लिए दाना चुगने के लिए रोज गांव की तरफ जाती.
और इस बीच वहाँ पर चिड़िया के बच्चे अकेले ही रहते थे.
इधर चिड़िया ज़ब लौट कर आती तो बच्चे बहुत खुश होते. चिड़िया अपने बच्चो की भूख मिटाती.
एक दिन चिड़िया ने देखा की बच्चे बहुत डरे हुए है.
बच्चो ने बताया की ! माँ – आज खेत का मालिक आया था.
वो खेत मे खड़ा हो कर बोल रहा था की -फसल पक चुकी है कल बेटों से फसल की कटाई के लिए कहेगा.
इस तरह तो हमारा घोंसला टूट जाएगा माँ..
फिर हम कहाँ जाएंगे.? बच्चो की बातें सुन चिड़िया माँ बोली, “फ़िक्र मत करो”
अभी खेत नहीं कटेगा, और अगले दिन सच्च मे कुछ नहीं हुआ. बच्चे बेफिक्र हो गए.
कुछ दिन बाद चिड़िया को अपने बच्चे फिर से डरे हुए मिले,
बच्चे बोलने लगे की माँ वो किसान फिर आया था.. और कह रहा था की कल नौकरो को कह कर खेत को कटवाएगा.
इस बार चिड़िया की माँ फिर से बोली की फ़िक्र मत करो बच्चों.कल भी कुछ नहीं होगा.
कुछ दिन बाद चिड़िया के बच्चे फिर से डरे हुए मिले..
इस बार बच्चो ने बताया की माँ..
आज किसान फिर आया था और वो बोल रहा था की फसल कटाई मे बहुत देर हो गई है कल वो खुद आकर फसल को काटेगा.
इस बार ये सुन कर चिड़िया बच्चो से बोली, अब खेत कल पक्का कट जाएगा.
इस बार चिड़िया अपने बच्चो लेकर तुरंत एक सुरक्षित स्थान पर चली गई.
बच्चे बहुत हैरान थे. और अपनी माँ से पूछने लगे की – माँ ! तुम्हे कैसे पता की इस बार फसल जरूर कट जाएगी..
Top 10 short moral stories in hindi
माँ बोली. ज़ब तक कोई इंसान किसी काम के लिए दूसरों पर निर्भर होता है तो उसके काम को संपन्न होने मे हमेशा संदेह बना रहता है.
लेकिन ज़ब कोई इंसान अपने काम को खुद से करने की ठान लेता है. तो वो काम जरूर पूरा होता है.
तो दोस्तों ये कहानी भी हमें शिक्षा देती है की ज़ब तक हम दूसरों पर डिपेंड रहते है.
दूसरों के भरोसे चलते रहते है. तब तक कोई भी काम ढंग से या समय से नहीं हो पाता.
लेकिन जिस दिन हम अपने सारे काम अपने हाथ मे लें लेते है.
अपने हर काम मे हम खुद जुड़ जाते है. तो हमारे वो सारे काम जरूर पूरे होते है.
तो दोस्तों यह short moral stories hindi की यह पहली कहानी आपको कैसी लगी. उम्मीद करता हूं इस short moral stories से आपको कुछ सीखने को मिला होगा.
तो चलिए बढ़ते है अब अपनी अगली short moral story की तरफ.
ज्ञान के तीन सूत्र | best hindi short story with moral
यह राजस्थान के उन दिनों की बात है ज़ब वहाँ लोग अक्सर विवाह के बाद पति पत्नी को घर मे छोड़ कर शहर की तरफ कमाने निकल जाते थे और 9 या 10 साल बाद अच्छे से कमा कर वापिस लौटते थे शहर से.
एक बार की बात है एक शंकर नाम के युवक ने विवाह के दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार करके पैसा कमाने की इच्छा पिता से कही ।
पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को माँ-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया ।
शंकर ने प्रदेश मे खूब मन लगा कर मेहनत की और हर महीने चिट्ठी के द्वारा दोनों तरफ से सकुशल हाल खबर मिल जाया करती थीं.
शंकर 17 वर्ष तक शहर मे ही रहा अपनी मेहनत के दम पर अब शंकर बहुत अच्छा धन कमा चुका था..
अब शंकर अपने गांव अपने परिवार के पास वापिस लौटना चाहता था.
अगले ही दिन शंकर ने अपना सामान पैक किया और ट्रैन पकड़ ली.गांव जाने से पहले ही शंकर ने पत्नी को पत्र लिखकर अपने आने की सूचना दे दी थीं.
ट्रेन मे शिकंर के साथ ऐसा आदमी बैठा हुआ था जो मन से बहुत दुःखी था.
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शंकर ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि इस देश में ज्ञान की कोई कद्र नही है ।
(पढ़ते रहिये short moral stories)
मैं यहाँ ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर कोई लेने को तैयार नहीं है ।
शंकर ने सोचा ‘इस देश में मैने बहुत धन कमाया है, और यह मेरी कर्मभूमि है,
इसका मान रखना चाहिए !’
इतना सोच शंकर ने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई ।
तब उस व्यक्ति ने कहा-
मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है ।
शंकर को को सौदा तो महंगा लग रहा था..
लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए उसे 500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी ।
व्यक्ति ने शंकर को ज्ञान के तीन सूत्र दिये. –
पहला सूत्र – कभी कभी आँखो से सीखा हुआ भी सत्त्य नहीं होता. यानी देखने के बाद हम जैसा सोचने लगते है असल मे वैसा होता नहीं. इसलिए ऐसे वक़्त मे धैर्य बनाए रखे.
दूसरा सूत्र – जिंदगी मे कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले, कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले या कोई भी बड़ा कार्य करने से पहले एक बार शांत मन से कुछ देर विचार कर लेना चाहिए.
तीसरा सूत्र –
जिंदगी मे कभी भी, क्रोध मे आकर कोई भी फैसला ना लेँ.
शंकर ने ये तीनो सूत्र अपने बैठा लिया और होनी किताब मे लिख लिया.
3 दिनों की यात्रा के बाद शंकर रात्रि के समय अपने गांव पहुँचा ।
उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूँ तो
क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे पत्नी के पास पहुँच कर उसे आश्चर्य उपहार दूँ ।
घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा करके शंकर सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया.
तो वहाँ का नजारा देखकर शंकर पांवों के नीचे की जमीन खिसक गई ।
पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक युवक सोया हुआ था ।
(अद्भुत ज्ञान पाने के लिए पढ़ते रहिये इन hindi short moral stories को )
शंकर अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और ये यहां अन्य पुरुष के साथ लेटी है ।
दोनों को जिन्दा नही छोड़ूगाँ । इतना सोचते हुए शंकर ने क्रोध में तलवार निकाल ली ।
वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही
उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान के तीन सूत्र याद आए –
इतना सोच शकर ने धैर्य से काम लिया और शांत मन से विचार किया.
शंकर ने तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई ।
Top 10 short moral stories in hindi
बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई । जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी वह ख़ुश हो गई और बोली- आपके बिना जीवन सूना सूना था । ख़ुशी पत्नी के चेहरे पर साफ झलक रही थीं.
इन्तजार में इतने वर्ष कैसे निकालेय है मैं ही जानती हूँ ।शंकर तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर कुपित था ।
पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग ।देख तेरे पिता आए हैं ।पत्नी के इतना बोलते ही शंकर सुन्न रह गया.
युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम करने झुका सर की की पगड़ी गिर गई ।
उसके लम्बे बाल बिखर गए ।सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है ।
पत्नी बोली – पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही पालन पोषण और संस्कार दिए हैं ।
यह सुनकर शंकर की आँखों सेअश्रुधारा बह निकली ।
पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि यदि आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता ।
मेरे ही हाथों मेरा निर्दोष परिवार खत्म हो जाता ।
तो देखा दोस्तों ज्ञान के वो तीनो सूत्र शंकर की जिंदगी मे कितना काम के साबित हुए.
बच्चो के लिए ज्ञान से भरी कहानियों का रोचक सफर
Moral of this short stories
दोस्तों ऐसा ही हम सब की जिंदगी मे होता है.
बिना सोचे समझे बारे फैसले लें लेते है. क्रोध मे धैर्य खो देते है.
ऐसा कभी नहीं करना चाहिए.
जैसा की इस कहानी मे आपने देखा की जो शंकर ने देखा और सोचा वो सच्च नहीं था जबकि सच्च कुछ और ही निकला.
इसलिए कभी कभी आँखो से देखा हुआ भी सत्य नहीं होता.
कुछ भी बड़ा कदम उठाने से पहले एक बार विचार कर लेना चाहिए.
तो दोस्तों यह short moral stories hindi की यह पहली कहानी आपको कैसी लगी. उम्मीद करता हूं इस short moral stories से आपको कुछ सीखने को मिला होगा.
तो चलिए बढ़ते है अब अपनी अगली short moral story की तरफ.
मूर्तिकार का अहंकार |short moral stories
एक बार एक नगर मे बहुत ही प्रसिद्ध मूर्तिकार रहता था. वह मूर्ति बनाने मे बहुत ही कुशल था.
उसके हाथ मे ऐसा हुनर था की वह किसो भी इंसान की ऐसी ऐसी अद्भुत मूर्ति बना देता था की कोई पहचान ही नहीं पाता था की मूर्ति है या सच्च मुच इंसान है.
यानी मूर्ति मे जान डाल देता था. उसकी मूर्ति बनाने की कला दूर दूर तक प्रसिद्ध थी.
दूर दूर से राजा, राजकुमार, राजकुमारियां, उससे मुर्तिया बनवाने आते थे.
आपने हुनर और प्रसिद्धि की वजह से मूर्तिकार को घमंड हो गया.
मूर्तिकार बहुत समय से से भयंकर बीमारी से पीड़ित रहता था.
मूर्तिकार को अब रोज रात को सोते वक़्त यमदूत दिखाई देते थे. अब मूर्तिकार की मृत्यु का समय नजदीक आगया था.. उसे लगा की वह अब नहीं बचेगा.
लेकिन मूर्तिकार मरना नहीं चाहता था. इसलिए मूर्तिकार ने आपने घमंड मे चूर हो कर एक योजना बनाई.
उसने अपनी ही हूबहू 11 मुर्तिया बनाई. और खुद भी उन्ही मूर्तियों मे खड़ा हो गया.
फिर ज़ब यमदूत उसे लेने आए तो यमदूत वहाँ उस मूर्तिकार की मूर्तियों को देख कर दंग राह गए.
वह सोच मे पड़ गए की इनमे से असली मूर्तिकार कौन है..
लेकिन यमदूत भी उस मूर्तिकार के घमंड से वाकिफ था. इसलिए यमदूत पहले उसका घमंड तोड़ने के लिए एक युक्ति खोजी.
यमदूत वहाँ खड़ा हो कर जोर से बोला की ये मूर्तियां तो वाकई असली और जीती जागती दिखाई दे रही. लेकिन. इन मूर्तियों मे एक कमी रह गई है. जो वो मूर्तिकार ठीक ठीक से नहु कर पाया.
अब यमदूत के यह बातें ज़ब मूर्तिकार के जानो मे पड़ी तो उससे रहा ना गया. वो आपने घमंड मे चूर हो कर उन खड़ी मूर्तियों के बीच से बोल उठा की.
कहाँ है कमी.?
बस उसी वक़्त यमदूत ने असली मूर्तिकार को पकड़ लिया.और मूर्तिकार को जवाब देते हुए बोले की यही है तुम्हारी गलती जो तुम मूर्तियों के बीच से बोल उठे. और तुम अपने अहंकार मे ये भूल गए की मूर्तियां कभी बोला नहीं करती.
चलिए जानते है की इस top 10 की इस short moral stories से हमें क्या शिक्षा मिलती है.
Moral of this short story
तो देखा दोस्तों…कैसे मूर्तिकार अपनी कला के अहंकार मे अपनी जिंदगी गवां बैठा.
घमंड ने मूर्तिकार की बुद्धि हर ली थीं
दोस्तों जीवन मे अपने किसी भी हुनर को लेकर या अपनी कामयाबी को लेकर कभी भी घमंड ना करे.
महाबली -महापंडित रावण को भी उसका घमंड ही उसे लें डूबा था.
तो दोस्तों यह short moral stories hindi की यह पहली कहानी आपको कैसी लगी. उम्मीद करता हूं इस short moral stories से आपको कुछ सीखने को मिला होगा.
Top 10 short moral stories in hindi
तो चलिए बढ़ते है अब अपनी अगली short moral stories की तरफ.
राजा की तीन सीख |short moral srtories
एक बार एक राजा ने अपने तीनो पुत्रो कप बुलाया और बोला की हमारे राज्य मे नाशपाती का कोई पेड़ नहीं है.
मैं चाहता हूं की तुम तीनो एक एक करके चार चार महीने के अंतराल मे इस पेड़ की तलाश करने जाओ और पता लगाओ की वह कैसा होता है.
अब हम 12 महीने बाद इस बात पर चर्चा करेंगे.
सबसे पहले पहला बेटा देखने गया फिर चार महीने बाद उसी पेड़ को दूसरा बेटा देख कर लौट आता फिर उसके अगले चार महीने बाद तीसरा बेटा पेड़ देख कर लौट आया.
इस प्रकार तीनो पुत्र बारी बारी से 4 महीने के अंतराल मे गए और पेड़ देख कर लौट आए.
ठीक 12 महीने बाद राजा ने फिर से तीनो को बुलाया और नाशपाती के पेड़ के बारे पूछा.
पहले पुत्र ने पेड़ को सुखा हुआ बताया.
दूसरे पुत्र ने बतया की पेड़ हरा भरा था लेकिन उस पर फल नहीं थे.
तीसरे पुत्र ने बताया की पेड़ हरा भरा फल और फूल से लदा हुआ था.
इसके बाद तीनो पुत्र खुद को सही साबित करने के लिए एक दूसरे की बातो झूठ बोल कर लड़ने लगे.
तब राजा ने तीनो पुत्रो को रोका और कहा की लड़ो मत, आप तीनो अपनी अपनी जगह सही हो और सच्च बोल रहे हो.
आप तीनो ने पेड़ के अलग अलग रूप को देखा. इसका कारण यह था की आप तीनो अलग मौसम अनुसार पेड़ को देखने गए.
इसी वजह से आपको उस पेड़ की स्थिति अलग अलग दिखाई दी.
बच्चो ये मैंने आप को जीवन की तीन सीख देने के लिए ऐसा किआ.
पहली सीख– किसी भी इंसान या वस्तु की सही जानकारी के लिए, उसको समझने के लिए उसकी लम्बे तक जाँच परख करो.
दूसरी सीख– मौसम की तरह वक़्त भी कभी एक सा नहीं रहता. धैर्य बनाए रखो. कभी जल्दबाजी मे फैसले मत लो.
तीसरी सीख– दूसरों की बातो को ठीक से सुने या जाने समझे बिना अपनी बात पर मत अड़े रहो.
हो सकता है सामने वाला भी सही कह रहा हो. क्योंकि हर इंसान के जीवन की परिस्थितिया एक सि नहीं होती.
सही जानकारी, सही फैसला, सही विचार ही इंसान को जीवन मे सफलता दिलाती है.
तो दोस्तों यह short moral stories hindi की यह पहली कहानी आपको कैसी लगी. उम्मीद करता हूं इस short moral stories से आपको कुछ सीखने को मिला होगा.
तो चलिए बढ़ते है अब अपनी अगली short moral stories की तरफ.
अगली short moral story है, भिखारी का ज्ञान..
भिखारी की सीख |hindi short moral story
वैशाली नगर राज्य मे एक चन्द्रसेन नाम का राजा राज्य करता था.
राजा के मन मे जिंदगी को लेकर आने वाले नकारात्मक विचार राजा को सुकून की जिंदगी जीने ही नहीं देते थे.
जिस वजह से राजा आए दिन परेशान रहता था.
जो भी काम करता दुःखी मन से करता. बहुत समय से उसके चेहरे से हसीं गायब हो चुकी थी.
इस साल राजा के राज्य मे bahut कम बारिश हुई. सुखा पड़ गया. जिसका सीधा असर राज्य के किसानो की जिंदगी पड़ पड़ा. अच्छी फ़सल नहीं लग पाई.
सब किसान बहुत दुःखी और उदास थे.
राजा अपने राज्य मे भ्रमर करने के लिए निकला वहीं पर एक मेला लगा हुआ था.
जहाँ पहुंच कर राजा ने हर आदमी के चेहरे पर उदासी देखी.
लेकिन उन सब मे सिर्फ एक आदमी ही ऐसा था जो राजा को देख कर ख़ुश था मुस्करा रहा था.
वो आदमी एक दुकान के बाहर बैठा था. उसके फ़टे मैले कपड़े , लम्बे उलझें बाल, हाथ मे कटोरा.
यह सब देख कर राजा समझ गया की ये ती भिखारी है.
भिखारी को मुस्कराते देख राजा कुछ देर बाद अपना उदास मन लिए वहाँ से चला गया.
अलगे दिन राजा अपने रथ पर फिर से राज्य का भ्रमण करने निकला..
फिर से वहीं दुकान से होकर ज़ब राजा गुजर रहा था तो राजा को फिर से वहीं भिखारी मिला.
भिखारी के चेहरे पर मुसकान थीं. राजा रख रुकवा कर भिखारी को ध्यान से देख रहा था.
भिखारी के हव भाव ऐसे थे मानो उसे जिंदगी मे पता नहीं क्या मिल गया हो.
राजा चला जाता है. राजा को रात के सपने मे भी वहीं भिखारी मुस्कराता हुआ दिखाई दिया.
अगले दिन राजा ने उस भिखारी को अपने दरबार मे बुलाया.
राजा ने बड़े अचरज मन से पूछा की. तुम्हारे पास पहनने को कपड़े नहीं. ना रहने को घर है ना ही परिवार. खाने को दो वक़्त की रोटी तक नहीं मिलती.
फिर भी तुम इतना खुश और सुकून से कैसे जी रहे हो अपनी जिंदगी को.
तब भिखारी बोलता है. मै कल की नहीं सोचता हूं, जो जिंदगी आज है बस उसी को जीता हूं और फिर कल किसने देखा है की क्या हो जाए , भले ही मै गरीब हूं लेकिन मूझे इसका तनिक भर भी गम नहीं, क्योंकि मेरी कोई ऐसी इच्छाए ही नहीं जिसके लिए मूझे धन की आवश्यकता पड़े.
जैसा हूं, जहाँ हूं, बस खुश रहता हूं आनंद मे रहता हूं.
अचानक से राजा के चेहरे पर हल्की सि मुसकान आगई भिखारी की इन बातों से राजा को अपनी परेशानी का हल मिल गया था. राजा को सुकून की अनुभूती हो रही थीं राजा को जिंदगी की बहुत बड़ी सीख मिल गई थीं.
तो दोस्तों इस short moral stories से हमें सीख मिलती है की खुशियाँ धन और संसाधन की मोहताज़ नहीं होती. हर इंसान सुकून से जिंदगी जी सकता है ज़ब वो अपनी फालतू की इच्छाए त्याग दे.
दोस्तों हमारी हमेशा से यही कोशिश रहती है की हम इस blog पर आपके लिए ज्ञान और शिक्षा से भरी ऐसी ही तमाम कहानियाँ लाते रहे जिससे आपका ज्ञान बढ़ सके , बौद्धिक विकास हो सके ,जीवन मे सही फैसले ले सके , आप जीवन मे आगे बढ़ सके , मन मे सकरत्म्क विचारो का जन्म हो और आपके सुंदर चरित्र का निर्माण हो ताकि आप आगे चल केआर सुंदर परिवार और समाज का निर्माण कर सके |
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