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Moral story दुखी चित्रकार

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Moral story दुखी चित्रकार – नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज ज्ञान से भरी एक और moral story मे.

 

Moral story दुखी चित्रकार

एक बार एक शहर मे एक मशहूर  चित्रकार रहता था. उसकी असभुत चित्रकारी की कला की लोग खूब तारीफे करते.

 

वो चित्रकार हर चित्र को बड़े ही दिल से कागज़ पर उकेरता था, उसके द्वारा बनाई गई पेंटिंग करोड़ो मे बिकती थी.

 

एक बार उस चित्रकार ने ऐसे ही एक खूबसूरत चित्र बनाया और उसे लेकर एक चित्रकला प्रतियोगिता मे गया, उस चित्र मे नीचे उसने लिख दिया था की इस चित्र मे जहाँ जहाँ आपको कोई कमी नजर आए वहाँ वहाँ इस लाल पेन से टिक कर देना.

इतना बोल कर वो लाल पेन रख कर वहाँ से चला गया.

वहाँ हज़ारो लोगो की भीड़ थी.

 

कुछ घंटे बाद ज़ब वो चित्रकार वापिस लौटा तो उसने देखा तो बहुत निराशा से भर गया. क्योंकि लोगो ने उस चित्र मे कमियाँ खोज खोज कर उसका चित्र लाल टिक से भर दिया था. 

 

 चित्रकर मायूस होकर अपने चित्र को वहाँ से लेकर घर लौट गया.

 

वो इतना निराश हुआ की खुद को कोसने लगा की क्या मै वाकई इतना खराब चित्रकार हूं मेरी चित्रकारी मे इतनी कमियाँ छुपी थी. तो फिर ये कमियाँ मुझे नज़र क्यों नहीं आती.

 

इस घटना के बाद चित्रकार का मनोबल मानो टूट गया था.अब उसके अंदर चित्रकारी करने की हिम्मत नहीं थी.

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उसने चित्रकारी करनी छोड़ दी. एक दिन उस चित्रकार का एक मित्र उससे मिलने आया. उसके मित्र का नाम था शंकर. शंकर ने ज़ब अपने मित्र को उदास देखा तो उसकी उदासी का कारण पूछा.

 

चित्रकार ने सारी बात अपने मित्र शंकर को बता दी.

 

अब शंकर ने कुछ देर सोचा और बोला की मित्र! क्या तुम्हारे पास, कोई पुरानी पेंटिंग अभी पड़ी है.

 

चित्रकार बोला, हाँ लेकिन उसका तुम क्या करोगे. शंकर बोला वो पेंटिंग मुझे दो और तुम मेरे साथ चलो.

 

दोनों पेंटिंग लेकर एक भीड़ वाले इलाके मे पहुंचे और उस पेंटिंग को वहाँ रख दिया.

और इस बार शंकर ने पेंटिंग के नीचे लिखा की जिस किसी को भी इस पेंटिंग मे कोई भी कमी नजर आती है तो वो उसे नीचे रखे पेंटिंग ब्रश से ठीक कर दें.

पेंटिंग इतनी खूसूरत थी की उसे देखने के लिये लोगो की भीड़ लग गई.

 

इतना बोल कर दोनों वहाँ से चले गए उसके बाद ज़ब वो लोग वापिस आए तो पेंटिंग वैसे की वैसे ही थी जैसा छोड़ कर गए थे.

 

यह देख चित्रकार बोला की! अरे यह क्या चमत्कार है. पिछली बार तो पेंटिंग पेन से पूरी लाल हो चुकी थी.

 

तब शंकर बोला, की! पहले जो हुआ था वो समाज की एक कड़वी सच्चाई थी जिसपर तुमने भावुक होकर खुद की काबिलियत पर शक किया.

 

चित्रकार सब समझ गया था.

 

Moral story दुखी चित्रकार कहानी से सीख

दोस्तों इस कहानी से हमें सीख मिलती है की, ऐसा ही हमारे जीवन मे होता है, लोग एक दूसरे की गलतियाँ निकालने मे कोई कमी नहीं छोड़ते लेकिन ज़ब बात उसी कमी को ठीक करने की हो तो उसपे कोई बात नहीं करता. कोई भी मदद नहीं करता की उस कमी को कैसे ठीक किया जाए.

 

इसलिए मित्रो ज़ब भी कोई आपकी कमियाँ बताए तो निराश व हताश होने की आवश्यकता नहीं. आपको खुद पर भरोसा होना चाहिए

 

उम्मीद करता हूं moral story दुखी चित्रकार कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिला होगा.

 

हम अपने blog पर ज्ञान से भरी ऐसी ही कहानियाँ ले कर आते रहते है.

 

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