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top 10 moral stories in hindi

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top 10 moral stories in hindi (10 चुनिन्दा कहानियाँ) – दोस्तों स्वागत है आपका ज्ञान से भरी  कहानियों की इस रोचक दुनिया मे।

दोस्तों जीवन मे कहानियों का विशेस महत्तव होता है | क्योकि इन कहानियो के माध्यम से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है |

इन कहानियों के माध्यम से आपको ज़रूरी ज्ञान हासिल होंगे जो आपको आपकी लाइफ मे बहुत काम आएंगे |

यहाँ पर बताई गई हर कहानी से आपको एक नई सीख मिलेगी जो आपके जीवन मे बहुत काम आएगी |

हर कहानी मे कुछ न कुछ संदेश और सीख (moral )छुपी हुई है | तो ऐसी कहानियो को ज़रूर पढ़े और अपने दोस्तो और परिवारों मे भी ज़रूर शेयर करे |

 

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top 10 moral stories in hindi की पहली कहानी –

भाग्य और भेद

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विशाल नगर के राजा देवराज के शासन मे उस राज्य की सभी प्रजा कुशल मंगल से थी | पूरा राज्य खुशहाल और सम्पन्न था |

राजा की दो बेटियाँ और एक बेटा था | राजा का बेटा अभी 10 साल का था की दुर्भाग्यवश एक सांप का बच्चा पानी पीते समय बेटे  के मुंह मे चला गया था |

यह तब पता चला जब बेटे को पेट मे तेज़ दर्द हुआ  और  चिकत्सकों को बुलाया गया |

उन्होंने ने बहुत देर जाच करने के बाद पता लगाया की अंदर साप का बच्चा है |

राजा बहुत दुखी हुए , पूरे राज महल मे सन्नटा छा गया. 

राजा ने अपने बेटे को ठीक करने के लिए हर राज्य के बड़े से बड़े वैद और चिकत्सकों को बुलवाया लेकिन कोई सफलता हासिल नहीं हो पाई |

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समय के साथ राजा का बेटा जैसे जैसे बड़ा होता गया पेट मे साप की हलचल उसे और व्याकुल करने लगी | यह देख राजा बहुत दुखी रहने लगे |

पिता को व्याकुल और दुखी देख बेटे (राजकुमार) से अब रहा न गया | बेटे ने ठान लिया की अब मैं  यहाँ से  चला जाऊंगा , जब तक मैं इन लोगो के आखो के सामने रहूँगा यह लोग मेरी वजह से दुखी होते रहेंगे |

एक दिन मौका मिलते ही बेटा राजमहल छोड़ कर किसी दूसरे राज्य के  एक मंदिर मे चला जाता है |

वह मंदिर मे एक कोने मे जगह बना कर वही रहने लगता है और भिक्षा मांग कर अपना पेट भरता है | इस तरह राजकुमार  एक भिखारी का जीवन व्यतीत करने लगा  |

राजकुमार जिस राज्य के मंदिर मे रहते थे उस राज्य के राजा  की दो बेटियाँ थी | दोनों बेटियों का स्वभाव एक दूसरे से बिलकुल अलग था |

बड़ी बेटी का मानना था की  उनके पिता की  वजह से ही हम सब इतना खुशहल जीवन जी रहे है हर सुख सुविधा का लाभ उठा रहे है |

पिता जी यहाँ के राजा  है अतः इन्ही की वजह से ही हमारा भाग्य इतना अच्छा है |

राजा की भी यही सोच थी की न सिर्फ उनकी बेटियाँ बल्कि पूरा राज्य मेरी वजह से ही खुशहाल है मेरी वजह से ही सभी के भाग्य मे खुशहाल जीवन है |सभी लोग मेरी किरपा पर ही आश्रित हैं |

राजा अपनी बड़ी बेटी की सोच से बहुत प्रसन्न था | राजा बड़ी बेटी का विवाह दूसरे राज्य के एक राजकुमार के साथ करवा देते है |

वही दूसरी तरफ छोटी बेटी का मानना था की  यह सब पिता जी की वजह से नहीं है | इंसान अपना भाग्य अपने कर्मो से बनाता है , सुख दुख अपने किए गए कर्मो की वजह से भोगता है |

छोटी बेटी की यह सोच  देख राजा को बहुत गुस्सा आता है दोनों मे इस बात को लेकर बहुत बहस होती है |

राजा बोलता है – मैं तुम्हारा विवाह मंदिर के बाहर उस भिखारी (राजकुमार)  से करवा देता हूँ फिर देखता हूँ तुम कैसे अपने भाग्य से खुशहाल जीवन जीती हो |

 

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राजकुमारी ने भी उस भिखारी को अपना कर्म फल मानते हुए विवाह के लिए हाँ कर दिया | राजकुमारी को अपने कर्मो पर पूरा विश्वास था और सब्र भी |

इस तरह उस भिखारी  और राजकुमारी का विवाह हो जाता है | भिखारी विशाल नगर के राज्य का राजकुमार है ! यह बात न तो राजा जानता था और न ही राजकुमारी |

विवाह के कुछ दिन बाद राजकुमारी ने अपने को किसी दूसरे राज्य लेजाकर  वहाँ काम पर लगाने का निश्चय किया | अगली सुबह दोनों पति पत्नी दूसरे राज्य के लिए निकल पड़ते है |

चलते चलते शाम हो जाती है और दोनों बहुत थक जाते है | दोनों वही एक नदी के किनारे सुबह तक रहने का प्रबंध करते है | राजकुमारी रास्ते मे खाने के लिए पहले से ही कुछ चना और सत्तू लिए होती है दोनों उसी को खा कर अपनी भूक मिटाते है थके होने की वजह से  दोनों  जल्दी ही सो  जाते है |

कुछ देर बाद अचानक एक आहट की वजह से राजकुमारी की आख खुल जाती है |  राजकुमारी की नजर जैसे ही अपने सोए हुए  पति के मुंह पर जाती है उसकी आखे फटी की फटी रह जाती है |

वह देखती है की पति के मुंह से एक साप अपना मुंह बाहर की तरह नुकाले हुआ था | यह दृश्य पत्नी के गले से उतर नहीं रहा था उसे अपनी आखो पर विश्वास ही नहीं हो रहा था की यह मैं कही  सपना तो नहीं देख रही |top 10 moral stories in hindi

इतने मे वहाँ जमीन मे एक बिल से एक और साप  बाहर निकला  | दोनों साँपो की नजर जब एक दूजे पर गई तो

बिल वाला साप  “मुंह से निकले हुए साँप” को बोलता है – तुमने एक इंसान के पेट मे घुस कर उसका  जीवन नर्क क्यों बना रखा है |

तुम इतने घटिया साँप हो , तुम अब तक जीवित कैसे हो ?  लगता हैं किसी को यह बात मालूम नहीं थी की पुरानी कांजी और काली सरसों को पीस कर गरम जल के साथ मिलकर पिलाने से तौंहरी मृत्यु हो सकती है इसीलिए तुम अब तक जिंदा हो “दुस्ट”

बिल वाले साँप की यह बात सुन मुह वाला साँप क्रोधित हो जाता है और बोलता है – तुम भी तो अब तक कितनों को डंस मौत के घाट उतारा होगा पापी ! लगता है तुम्हारे बारे भी किसी को यह पता नहीं की बिल मे खौला हुआ तेल डाल देने से तुम्हारी मृत्यु हो सकती है इसी वजह से तुम अभी तक बचे हुए हो |

राज कुमारी चुप चाप दोनों की यह वार्तालाप सुन रही थी | राजकुमारी को अब यह राज पता चल चुका था की दोनों सापो की मौत कैसे होगी ?इस तरह राजकुमारी ने दोनों सापो को उन्ही  के बताए  “गुप्त राज”  के द्वारा मार डाला |

इस प्रकार राजकुमार एक दम स्वस्थ हो गया और अपने राजी वापिस लौट गया | राजा अपने बेटे को देख बहुत खुश हुआ और जब यह पता चला की बेटे अब ठीक हो चुका है तो राजा की खुशी का ठिकाना न रहा | इस तरह दोनों पति पत्नी अब खुशी खुशी राज योग का जीवन जी रहे थे |top 10 moral stories in hindi

कुछ समय बाद राजकुमारी अपने पति के साथ अपने पिता से मिलने जाती जाती  है और सब कुझ बताती है | बेटी की बात सुन पिता खुद पर बहुत शर्मिंदा होते है और अपनी बेटी से क्षमा मांगते है |

 

तो देखा दोस्तो कैसे एक राजकुमारी का विवाह एक भिखारी से होने के बावजूद भी उसके अच्छे कर्मो की वजह से उसके भाग्य मे राजयोग बन गया था | तो चलिये जानते है इस कहानी से हमे क्या शिक्षा (moral) मिलती है |

शिक्षा -moral- इस कहानी से हमे यह शिक्षा (moral) मिलती है की कभी किसी को एक दूसरे का राज उजागर नहीं करना चाहिए | इससे खुद का ही नुकसान होता है | दोसरी शिक्षा (moral) यह मिलती है की इंसान अपना भाग्य अपने कर्मो से बनाता है न की किसी की मेहरबानी से बनता है |

 

स्वागत है आपका top 10 hindi moral stories के इस रोचक सफर मे | इन दस कहानियों मे अलग अलग शिक्षाएँ(moral) छुपी हुई है जो आपको ईएसए ज्ञान प्रदान करती है जो आपको जीवन मे बहुत काम  आती है | इन शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से हम आपको ऐसे ज्ञान से रुबारू करवाते है जिससे आपके जीवन की बहुत सी परेशानियाँ सुलझ जाती है |तो पढ़ते रहिए इन कहानियों को -धन्यवाद

 

अब पढ़िए top 10 hindi moral stories की कहानी नंबर -2      

उद्धव के सवाल | new moral stories in hindi

दोस्तो यह एक सत्या घटना है महाभारत काल की | यह घटना है भगवान कृष्ण और उद्धव के बीच हो रहे सवालो जवाबो से भरी वार्तालाप की जिसके द्वारा ईश्वर और कर्म  का बहुत अच्छा ज्ञान जानने को मिलता है |

उद्धव बचपन से ही सारथी के रूप मे श्री कृष्ण जी की सेवा मे रहे | और उद्धव यह जानते हुए भी की ! “श्री कृष्ण जी  असीम शक्तियों के स्वामी है अतः भगवान विष्णु के अवतार है” फिर भी  मन मे  कभी किसी प्रका की यह इच्छा भावना नहीं रखी की ! मैं भी श्री कृष्ण जी  से कुछ मांग लूँ | उद्धव कभी श्री कृष्ण जी  से कोई वरदान न मांगा |

 

अब श्री कृष्ण जी का धरती पर समय  समाप्त होने को था यानि उन्होने जो अवतार लिया था अब वह अवतार त्याग कर गौलोक जाने को तत्पर हुए | जाने से पहले वो उद्धव से मिलने को बहुत व्याकुल हुए क्योकि उद्धव ने बचपन से सारथी के रूप मे उनकी सेवा की अतः इस विचार से श्री कृष्ण जी  उद्धव को कुछ वरदान देने को इच्छुक हुए “तब श्री कृष्ण जी  ने उद्धव को अपने पास बुलाया और पूछा की ” 

 

हे मेरे प्रिय उद्धव ! मेरे इस अवतारी काल मे कई लोगो ने मुझसे अपनी इच्छाए व्यक्त करते हुए वरदान मांगे , किन्तु तुमने अभी तक मुझसे कुछ नहीं मांगा अतः मैं तुमको तुम्हारी सेवा से पसन्न हो कर कुछ भी वरदान देना चाहता हूँ इस हेतु तुम मुझसे कोई वरदान मांगो उद्धव | वरदान स्वरूप तुम्हारी इच्छा पूर्ण करके मेरे मन को  अती संतुस्टी पहुंचेगी |

इस समय उद्धव के मन मे बहुत से सवाल आ रहे थे  जी की बहुत पहले से ही उद्धव इन सवालो के जवाब श्री कृष्ण जी  से  जानना चाहता था |

उद्धव के मन मे  भगवान  श्री कृष्ण जी  की लीलाओं  को लेकर  और  महाभारत के सम्पूर्ण घटनाक्रम  , कर्म कांड  एवम  दाइत्त्वों को लेकर  अनेकों सवालो की उलझन थी |

तब उद्धव !  श्री कृष्ण जी  की वरदान स्वरूप कुछ मांगने की बात सुन कर अपने मन मे चल रहे सवालो की  पूर्ण संतुस्टी देने वाले जवाबो की इच्छा  श्री कृष्ण जी के सामने  प्रकट करते है |

उद्धव ने श्री कृष्ण जी से पूछा ! “भगवन महाभारत के घटनाक्रम में अनेकों बातें मैं नहीं समझ पाया! मैं उपदेशो  और व्यक्तिगत जीवन के क्रियाओं आपस मे मिला नहीं पा  रहा हूँ  अतः मैं यह समझने मे असमर्थ हूँ की आपके उपदेश और व्यक्तिगत जीवन आपस मे मेल क्यों नहीं खाते इन बातों  को लेकर मेरे मन मे बहुत सी शंकाए जन्म लेती हैं | किरप्या मुझे मेरे सवालो का संतुस्टी पूर्ण जवाब देकर मुझे  इन सवालो के माया जल  से मुक्त करें.

माया जल

तब श्री कृष्ण भगवान बहुत ही सुन्दर बात बोले – 

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उद्धव के सवाल | new moral stories in hindi

 

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स्वागत है आपका top 10 hindi moral stories  in hindi के इस रोचक सफर मे | इन दस कहानियों मे अलग अलग शिक्षाएँ(moral) छुपी हुई है जो आपको ईएसए ज्ञान प्रदान करती है जो आपको जीवन मे बहुत काम  आती है | इन शिक्षाप्रद कहानियों के माध्यम से हम आपको ऐसे ज्ञान से रुबारू करवाते है जिससे आपके जीवन की बहुत सी परेशानियाँ सुलझ जाती है |तो पढ़ते रहिए इन कहानियों को -धन्यवाद 

 

top 10 hindi moral stories  in hindi की तीसरी कहानी 

short moral story in hindi बुद्धिमान हंस 

एक छोटा सा गाँव था जिसमे 20 घर थे | उस गाँव मे एक घसियारा रहा करता था | गाँव के बगल मे एक जंगल था |घसियारा अक्सर उस जंगल मे आता  जाता रहता था | घसियारा उस जंगल से कभी लकड़ियां कट कर लाता तो कभी कोई छोटा मोटा जानवर पकड़ लाता और उसे पका कर खा जाता | घसियारे कभी पहले से मरे हुए जानवर नहीं खाते | 

 

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 उस जंगल मे  बहुत जादा हंस रहा करते थे | हंस अक्सर अपना ठिकाना ऊचे वृक्षो पर ही  बना कर रहते थे | एक वृक्ष पर 6 से 8 हंस रहा करते थे |  उन हंसो मे एक हंस बाकी हंसो से बहुत बुद्धिमान था |वह बुद्धिमान हंस बहुत बूढ़ा था |

 

वह बूढ़ा  हंस अक्सर उस घसियारे पर नजर रखता था | हंस ने एक बात समझ ली की यह घसियारा मरे हुए जानवर को अपने साथ नहीं ले जाता | short moral story in hindi बुद्धिमान हंस 

एक दिन वृक्ष पर जहां हंसो का ठिकाना था वही पर एक बेल निकल आई |

 

बूढ़े  हंस की नजर जब उस बेल पर गई तो उसने बाकी के हंसो से बोला की –  इस बेल को तुरंत काट दो वरना एक दिन यह बेल वृक्ष के नीचे तक फैल जाएगी और कोई शिकारी इस  बेल के सहारे वृक्ष पर चढ़ कर हमारा शिकार के हमे मार देगा |

 

यह सुन बाकी के हंस बोले – अरे तुम बे वजह ही इतने चिंतित हो रहे हो , अभी यह बेल बहुत छोटी है तो इसे बरहने मे अभी बहुत समय लगेगा तब तक हम इस बेल को काट देंगे | 

 

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बूढ़ा  हंस फिर से बोला – नहीं नहीं ! इसे अभी काट दो वरना यह बेल अधिक बड़ी हो गई तो इस बेल को काटना  बहुत मुश्किल हो जाएगा | तब यह बेल नहीं कटेगी इसे अभी काट दो | वरना एक दिन यह बेल हमारी मौत का कारण बनेगी |

लेकिन कोई भी हंस उस बूढ़े हंस की बात सुनने को तैयार नहीं था | सब उस हंस की बात को मज़ाक मे ले रहे थे | समय बीतता गया और बेल एक दिन बहुत बड़ी हो गई |short moral story in hindi बुद्धिमान हंस 

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एक दिन सभी हंस भोजन  की तलाश मे सुबह सुबह सूरज की  पहली किरण के साथ  वहाँ से चले गए |हंसो ने उड़ने के लिए जैसे ही पंख फड़फड़ाए थे तब उसी समय कुछ पंख टूट कर जमीन पर वृक्ष के नीचे जा गिरे |

इधर घसियारा हमेशा की तरहा उस जंगल से गुजर रहा था की अचानक घसियारे की नजर वृक्ष के नीचे गिरे सफ़ेद पंखो पर पड़ी| घसियारे ने पंख उठा कर देखा तो तुरंत जन गया की यह तो हंस के पंख है | इतना बोलते हुए घसियारे ने वृक्ष के ऊपर नजर दौड़ाई तो देखा की यहाँ तो कोई हंस नहीं है |घसियारा   वृक्ष से लटक रही बेल के सहारे वृक्ष पर चढ़ा तो देखा की यह तो बहुत बड़ा घोसला है |

 

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 घसियारा समझ गया की इस वृक्ष पर बहुत सारे हंस रहते है शायद वो अभी काही बाहर गए होंगे खाने की तलाश मे

“घसियारे के मन मे एक ख्याल आता है की क्यों न सभी हंसो को एक साथ पकड़ लिया जाए” | 

इतना सोचते हुए घसियारा वृक्ष पर जाल बिछा देता है |और कहता है – “जब सभी हंस शाम को यहाँ वापिस लौटेंगे तो वो सब मेरे इस जाल मे फंस जाएंगे |” फिर उन सब को घर ले जा कर उनका ताजा ताजा गोश खाऊँगा | 

 

इस तरह जल बिछाकर घसियारा वहाँ से चला जाता है |short moral story in hindi बुद्धिमान हंस 

इधर शाम होते ही जैसे ही सभी हंस वापिस अपने वृक्ष पर आते है तो सब उस जाल मे बुरी तरह से फंस जाते है | सभी हंस बहुत कोशिश करते है उस जल से निकलने की लेकिन कोई भी उस जल से नहीं निकल पाता| तभी सब बूढ़े हंस से पूछते है की अब आप ही बताओ क्या किया जाए आप तो बहुत बुद्धिमान हो और तजुर्बेकार भी | 

बूढ़ा हंस उन सब को पहले बहुत गुस्सा करता है की –  मैंने पहले ही बोला था आप सब को  की इस बेल को काट दो | लेकिन कोई भी मेरी बात को नहीं समझा अब देखो नतीजा |  

बूढ़े हंस ड़ाट सुन कर सभी हंस खुद पर बहुत  शर्मिंदा होते है और बूढ़े हंस की कही हुई  पुरानी बातों को न मान कर अब   बहुत पछता रहे होते है | 

सभी हंस  बोलते है हमे माफ कर दो आज से हम आपकी हर बात मानेंगे  कृपया अभी इस जाल से बचने का कोई उपाय निकालो |

तब हंस कुछ देर सोचता है  | कुछ देर सोचने के बाद हंस समझ जाता है की – हो न हो यह उस घसियारे का काम है क्योकि अक्सर वही इस जंगल मे आता जाता रहता था | short moral story in hindi बुद्धिमान हंस 

 

बूढ़ा हंस यह बात अच्छे से जानता था की वो घसियारा मरे हुए जानवर को नहीं ले जाता | 

 

तो एसे मे बूढ़े हंस के मन मे एक उपाय आया और वह बोला –   जिसने हमे इस जाल मे फासा है वही हमे इस जाल से निकालेगा|

बूढ़े हंस की यह बात सुन बाकी के हंस बोले की – यह आप क्या बोल रहे हो – भला वो हमे क्यो इस जाल से निकालेगा |

तब बूढ़ा हंस बोला – अब जैसा मैं कहता हूँ वैसा ही करो | कोई फालतू का अपना दिमाग नहीं चलेगा वरना सब चौपट हो जाएगा |

मेरी बात ध्यान से सुनो सुबह जब वो घसियारा आएगा तब सब ने झूठ मूट का मरने का नाटक करना है | मतलब जैसे ही वो घसियारा वृक्ष पर चढ़ कर हमे देखने आए तो खुद को ऐसा दिखाना की वो हमे मारा हुआ समझे | जब वो हमे मारा हुआ समझेगा तो उसी समय वो एक एक करके हंस को जाल से निकालने लगेगा | short moral story in hindi बुद्धिमान हंस 

फिर जैसे ही वो घसियारा सारे हंस को जाल से निकाल कर अलग कर देगा तब हम सब तुरंत वहाँ से उड़ जाएंगे|

लेकिन एक बात का खास ध्यान रहे !कोई भी हंस तब तक ये मरने का नाटक जारी रखेगा जब तब की वो घसियारा आखरी हंस को जाल से निकाल कर अलग न कर दे |

यदि किसी ने जरा सी भी गड़बड़ की तो हम सब मरे जाएंगे और यदि कोई  सिर्फ अपनी जान बचाने के चक्कर मे पहले ही उड़ा , तो घसियारा समझ जाएगा की बाकी के हंस भी जिंदा है तो वो बाकी के हंस को मार कर खा जाएगा

इधर जैसे ही सुबह होती है वो घसियारा आजाता है | 

अब सभी हंस  वैसा ही करते है जैसा बूढ़े हंस न कहा था | घसियारा जैसे ही वृक्ष से जाल को नीचे उतारता है तो वो  यह देख कर चौक जाता है  की सभी हंस मरे हुए है| घसियारा बहुत निराश हो जाता है और फिए एक एक करके सभी हंसो को जाल से निकाल कर अलग करना शुरू कर देता है | जैसे ही सभी हंस जाल से अलग हो जाते है  तभी तुरंत सभी हंस  अपने पंख फड़फड़ाते हुए वह से उड़ जाते है |

यह देख घसियारा अपना माथा पीटते हुए वहाँ से चला जाता है |

तो दोस्तो इस कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती है ? चलिये जानते है |

moral -शिक्षा – short moral story in hindi बुद्धिमान हंस 

इस कहानी से हमे सबसे पहली शिक्षा यह मिलती है की परिवार मे हमेशा अपने बड़े बुजुर्गों का कहना मानना चाहिए क्योकि उन्हे ज़िंदगी मे अच्छे बुरे का तजुर्बा हमसे कहीं अधिक होता है | बाकी आपने इस कहानी मे देख ही लिया की हंसो ने जब उस बूढ़े बुजुर्ग का कहना नहीं माना तो नतीजा क्या हुआ ?  

तो इसलिए हमेशा अपने परिवार मे बड़े बुजुर्गों का कहना मानो उनका और उनकी बाटो का सदैव सम्मान करो क्यो की वह अक्सर आपके हित और भले के लिए ही बोलते है |

 

इस कहानी से दूसरी शिक्षा यह मिलती है की यदि जिंदगी मे आपको पता लग जाए की यह चीज भविस्य मे हमारे लिए खतरा बनने वाली है तो उस चीज को नस्ट कर देना ही समझदारी होती है उसे कल के लिए मत छोड़ो उसी समय नस्ट कर दो | ताकि भविस्य मे आपको परेशानी न हो

 

दोस्तों हमारी  हमेशा से यही कोशिश रहती है की हम  इस blog पर आपके लिए ज्ञान और शिक्षा  से भरी ऐसी ही तमाम कहानियाँ लाते रहे जिससे आपका ज्ञान बढ़ सके , बौद्धिक विकास हो सके ,जीवन मे सही फैसले ले सके , आप जीवन मे आगे बढ़ सके , मन मे सकरत्म्क विचारो का जन्म हो और  आपके सुंदर चरित्र का निर्माण हो ताकि आप आगे चल केआर सुंदर परिवार और समाज का निर्माण कर सके |

हम चाहते है की यह कहानियाँ जादा से जादा लोगो तक पहुंचे ताकी वह भी इसका पूरा लाभ उठा सके इसलिए आप इन कहानियों को social media की मदद से अपने सभी दोस्तों मे अवश्य शेयर करे | आपका ये छोटा सा प्रयास कई लोगो की जिंदगी भी बदल सकता है |

 

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